नंगल के युवा उत्कर्ष मोंगा की हाईकोर्ट में पीआईएल – पंजाब-हिमाचल सीमा पर टोल मुद्दे को लेकर बड़ी अपडेट

नंगल/शिमला । राजवीर दीक्षित

(Youth from Nangal Files PIL in High Court Over Punjab-Himachal Toll Issue)पंजाब-हिमाचल सीमा पर लगने वाले टोल टैक्स को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चा अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है। पंजाब के नंगल नगर के युवा उत्कर्ष मोंगा ने हिमाचल सरकार के खिलाफ शिमला हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
अपनी याचिका के माध्यम से उन्होंने मांग की है कि पंजाब की सीमा तक रहने वाले लोगों, जिनकी दैनिक आवाजाही हिमाचल में होती है, उन्हें टोल टैक्स से छूट दी जाए।

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हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार से मांगा जवाब
उत्कर्ष मोंगा की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए शिमला हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार से इस विषय में जवाब तलब किया है। अब सरकार को यह बताना होगा कि सीमावर्ती क्षेत्रों से आने वाली गाड़ियों से लगातार टोल क्यों वसूला जा रहा है ?

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समस्या की पृष्ठभूमि
बताया गया है कि पिछले कई वर्षों से नंगल, रूपनगर, नूरपुर बेड़ी, अनधोला और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासी यह मांग कर रहे हैं कि जब वे अपनी पंजाब नंबर की गाड़ियों से हिमाचल जाते हैं, तो उनसे टोल वसूला जाता है, जो कि अनुचित है और आम नागरिक की जेब पर अतिरिक्त बोझ डालता है।
उनका कहना है कि यह रास्ता उनके लिए केवल कार्यस्थल, शैक्षणिक या आवश्यक जरूरतों की पूर्ति के लिए है, न कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए।

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नंगल नगर कौंसिल की विशेष भूमिका
इस संदर्भ में नंगल नगर कौंसिल ने भी एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें पंजाब सरकार से सिफारिश की गई है कि वह भी हिमाचल की तरह टोल वसूली की रणनीति तैयार करे।
उन्होंने मांग की है कि यदि हिमाचल सरकार पंजाब के नागरिकों से टोल वसूल रही है, तो पंजाब सरकार को भी अपनी सीमा पर हिमाचल नंबर की गाड़ियों से टोल वसूलने की अनुमति दी जाए।
यह रणनीति “रिसिप्रोकल फॉर्मूला” यानी “पारस्परिक आधार” पर आधारित होगी, जिसके तहत दोनों राज्य एक-दूसरे से आने वाली गाड़ियों पर समान नीतियां लागू कर सकेंगे।

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इससे होने वाले संभावित लाभ:
1. पंजाब की आमदनी में वृद्धि होगी, क्योंकि वहां भी टोल वसूली शुरू की जा सकेगी।
2. हिमाचल सरकार पर दबाव बनेगा, जिससे वह सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों के लिए टोल में छूट या पास प्रणाली लाने के लिए बाध्य हो सकती है।

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पहले भी हो चुके हैं प्रदर्शन
इस मुद्दे पर पहले भी कई बार स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा चुके हैं। कई स्थानों पर धरने भी दिए गए, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया। अब जब यह मामला सीधे हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, तो लोगों में नई उम्मीद जगी है।


सामाजिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील मामला
यह मुद्दा सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक न्याय, संवैधानिक अधिकारों और आम नागरिक की सुविधा से भी जुड़ा हुआ है। उत्कर्ष मोंगा द्वारा उठाया गया यह कदम, युवा पीढ़ी की जागरूकता और जिम्मेदारी को दर्शाता है।
अब नजरें अदालत के फैसले पर
अब लोगों की निगाहें शिमला हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं। देखना यह है कि क्या अदालत सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव के लिए निर्देश देगी या कोई राहत भरा आदेश पारित करेगी।

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संभावित नतीजे क्या हो सकते हैं:
• हिमाचल सरकार विशेष पास या छूट योजना ला सकती है।
• दोनों राज्यों के बीच वाटी-टोल नीति (पारस्परिक टोल रणनीति) पर बातचीत हो सकती है।
• सीमावर्ती लोगों को दोनों ओर से सुविधाएं मिल सकती हैं।
उत्कर्ष मोंगा की यह कानूनी पहल एक नई शुरुआत का संकेत है। अगर इस तरह की जनहित आवाज़ को न्याय मिलता है, तो यह अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।
यह खबर पंजाब और हिमाचल के सबसे चर्चित मुद्दे पर केंद्रित है। अगर आप भी सीमावर्ती इलाकों से हैं, तो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनें और संवैधानिक मार्ग अपनाएं।