अमरनाथ की चढ़ाई कितने किलोमीटर है? कौन सा रास्ता है सही, जानिए पूरी जानकारी

चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(Amarnath Yatra Begins Under Tight Security with Two Trek Routes)3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यात्रा के पूरे मार्ग को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है। जानिए अमरनाथ के दोनों रास्ते कितने लंबे हैं और वहाँ पहुँचने में कितना समय लगता है।

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नो-फ्लाई ज़ोन घोषित अमरनाथ यात्रा सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हो गई है।
पहला जत्था बुधवार को जम्मू से रवाना हुआ। यात्रा “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ शुरू हुई। यह यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी। एक और खास बात यह है कि अमरनाथ यात्रा के पूरे रास्ते को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है। यानी इस मार्ग पर ड्रोन, यूएवी और गुब्बारे उड़ाना पूरी तरह प्रतिबंधित है।

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रूट कैसा है – बाबा अमरनाथ की गुफा तक पहुँचने के दो रास्ते हैं।
पहला रास्ता कश्मीर के गांदरबल जिले के बालटाल से शुरू होता है। दूसरा रास्ता अनंतनाग जिले के पहलगाम से शुरू होता है। यह श्रद्धालुओं पर निर्भर करता है कि वे कौन सा रास्ता चुनते हैं। अधिकतर श्रद्धालु पहलगाम वाले रास्ते को पसंद करते हैं।

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बाबा अमरनाथ की गुफा कितनी दूर है –
अगर आप पहलगाम रास्ता चुनते हैं तो आपको लगभग 48 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। यानी पैदल यात्रा करनी होगी।
पहलगाम से शुरू होने वाले इस रास्ते में चंदनवाड़ी, पिस्सू टॉप, जोजीबाल, नागकोटी, शेषनाग, वारबल, महागुणस टॉप, पब्बीबल, पंचतरनी और अंत में संगम पड़ाव शामिल हैं। इस दूरी को पूरा करने में कम से कम 5 दिन लगते हैं।

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दूसरे रास्ते में कितनी पैदल दूरी है –
अमरनाथ यात्रा का दूसरा रास्ता बालटाल से शुरू होता है। यह मार्ग 14 किलोमीटर लंबा है।
इसमें बालटाल के बाद डोमाली, बरारी और फिर संगम पड़ाव आता है। यह रास्ता छोटा जरूर है लेकिन खड़ी चढ़ाई होने की वजह से यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है। साथ ही, इस मार्ग में गहरी खाइयाँ भी मुश्किलें बढ़ाती हैं। इस मार्ग से गुफा तक पहुँचने में कम से कम 2 दिन लगते हैं।

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हेलीकॉप्टर की सुविधा –
उन श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध है जो पैदल यात्रा नहीं कर सकते। यह सुविधा दोनों मार्गों पर दी जाती है। हेलीकॉप्टर सेवा गुफा से 6 किलोमीटर पहले पंचतरनी तक उपलब्ध है। इसके बाद श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा करनी होती है।