फर्जी इनकाउंटर मामले में SSP समेत इन अधिकारियों को सोमवार को सुनाई जाएगी सजा ।

चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(Tarn Taran Fake Encounter: 5 Police Officers Convicted After 33 Years)1993 में पंजाब के तरनतारन जिले में हुए बहुचर्चित फर्जी एनकाउंटर मामले में 33 साल बाद इंसाफ मिला है। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में तत्कालीन एसएसपी भूपेंद्रजीत सिंह, डीएसपी दविंदर सिंह और तीन अन्य पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है। इन पर IPC की धारा 302 (हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत सजा सुनाई जाएगी। सजा का ऐलान सोमवार को किया जाएगा।

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यह मामला 7 युवकों के फर्जी मुठभेड़ों में मारे जाने से जुड़ा है, जिनमें से 4 पंजाब सरकार में एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) के पद पर कार्यरत थे। पुलिस ने उन्हें आतंकवादी बताकर दो अलग-अलग मुठभेड़ों में मरा हुआ दिखाया। बाद में जांच में खुलासा हुआ कि उन्हें पहले घरों से उठाकर अवैध हिरासत में रखा गया, यातनाएं दी गईं और जबरन रिकवरी करवाई गई। इसके बाद झूठे एनकाउंटर कर मार डाला गया।

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मृतकों के परिवारों को शव तक नहीं सौंपे गए और न ही अंतिम संस्कार की अनुमति दी गई। पीड़ित परिजनों ने दशकों तक न्याय की लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यह केस सीबीआई को सौंपा गया, जिसने जांच कर 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया। ट्रायल के दौरान 5 की मौत हो गई, शेष को अब दोषी ठहराया गया है।

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