चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Punjab Education Minister Bains: Teachers Cannot Be Used as Field Workers)पंजाब में शिक्षा की दिशा तय करने वाले शिक्षकों को अब पराली, सर्वे या अन्य गैर-शैक्षणिक कामों में झोंकने का दौर खत्म होने जा रहा है। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने मुख्य सचिव को सख्त लहजे में पत्र लिखकर साफ कहा है कि —
“शिक्षक सामान्य सरकारी कर्मचारी नहीं हैं… वे समाज के भविष्य निर्माता हैं, जिन्हें कक्षाओं से बाहर निकालना बच्चों के शिक्षा अधिकार के साथ अन्याय है!”
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बैंस ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि शिक्षक अपने मूल कर्तव्यों — ‘पढ़ाने’ और ‘कक्षा में समय देने’ — पर ही पूरी तरह केंद्रित रहें। उन्होंने “बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम” की धारा 27 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि शिक्षकों को किसी भी गैर-शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता, सिवाय जनगणना, प्राकृतिक आपदा या चुनावी ड्यूटी जैसी राष्ट्रीय आपात परिस्थितियों के।
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🔥 “जब शिक्षकों को पराली के खेतों में भेजा गया…”
हाल ही में पंजाब के कई जिलों में उपायुक्तों (DC) ने आदेश जारी किए थे कि स्कूल शिक्षक पराली जलाने की निगरानी करें। गुरदासपुर में ही 400 से अधिक शिक्षकों, जिनमें महिलाएँ भी शामिल थीं, को इस काम में झोंक दिया गया था। शिक्षक संगठनों ने इस आदेश का खुला विरोध करते हुए कहा — “हम बच्चों को पढ़ाने आए हैं, न कि खेतों में धुआँ गिनने!”
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विरोध इतना प्रबल हुआ कि आखिरकार प्रशासन को अपने आदेश वापस लेने पड़े। इसी विवाद के बाद हरजोत बैंस ने एक निर्णायक कदम उठाते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्थिति साफ करने की मांग की है।
💥 बैंस का कड़ा रुख — “शिक्षक प्रशासनिक बोझ के बोझिल मजदूर नहीं!”
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बैंस ने अपने पत्र में लिखा —
“कई बार आकस्मिक कार्यों के लिए अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता होती है, लेकिन तब भी शिक्षक पहला और आसान विकल्प नहीं हो सकते। यदि किसी अधिकारी को शिक्षकों की सेवाएँ किसी जरूरी कार्य में चाहिए, तो यह केवल शिक्षा विभाग की पूर्व और लिखित अनुमति से ही संभव होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक किसी भी जिले के ‘सहज उपलब्ध कर्मचारी’ नहीं हैं, बल्कि वे बौद्धिक और नैतिक विकास के वाहक हैं। उनका काम केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चों को समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाना है।
📢 शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया — “शिक्षा मंत्री ने हमारी आवाज़ सुनी!”
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सांझा अध्यापक मोर्चा के सह-संयोजक अमनबीर सिंह गोरयाना ने कहा —
“हम लंबे समय से यही मांग कर रहे थे कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए। शिक्षा मंत्री का यह कदम न सिर्फ शिक्षकों की जीत है बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के सम्मान की बहाली है।”
शिक्षक संगठनों ने इस फैसले को “ऐतिहासिक” बताते हुए कहा कि अब कोई भी जिला अधिकारी मनमानी नहीं कर सकेगा। यह आदेश सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक अब कक्षा में पूरी एकाग्रता से बच्चों का भविष्य गढ़ सकें।
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हरजोत सिंह बैंस का यह कदम केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि पंजाब के शिक्षा तंत्र की आत्मा को पुनर्जीवित करने की पहल है। अब देखना यह होगा कि क्या मुख्य सचिव इस आदेश को सभी जिलों तक सख्ती से लागू करवाते हैं, या फिर “गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की तैनाती” की पुरानी परंपरा फिर किसी नए बहाने से लौट आएगी।