चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(14,114 Trees to Be Cut in Punjab for Bharatmala Project)करीब 63 हेक्टेयर वन भूमि पर फैले 14,114 पेड़ों को काटा जा रहा है, ताकि अबोहर-फाज़िल्का और अबोहर बाइपास सड़कों को भारतमाला परियोजना के तहत चार लेन में बदला जा सके। गौरतलब है कि फाज़िल्का जिला राज्य में सबसे कम वन क्षेत्र वाले जिलों में से एक है, जहां कुल क्षेत्रफल का मात्र 1.98 प्रतिशत हिस्सा ही वन आच्छादन के अंतर्गत आता है।
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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई मंज़ूरी के अनुसार, अमृतसर से पठानकोट तक राष्ट्रीय राजमार्ग-54 के साथ की गैर-वन भूमि को “मान्य प्रतिपूरक वनीकरण (ACA)” के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे संरक्षित वन घोषित किया गया है।
हालांकि, इस निर्णय से पर्यावरण कार्यकर्ता नाराज़ हैं। उनका कहना है कि फाज़िल्का जिला पहले से ही सूखा होता जा रहा है, इसलिए वनीकरण भी जिले के अंदर ही किया जाना चाहिए था ताकि पारिस्थितिक संतुलन बना रहे।
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किसान एवं पर्यावरण कार्यकर्ता सुखमंदर सिंह ने कहा, “स्थिति को सुधारने के बजाय विभाग धीरे-धीरे जिले को सूखा बना रहे हैं। अधिकारियों को इस जिले में वनीकरण पर ज़्यादा ज़ोर देना चाहिए था।”
अबोहर के किन्नू बाग़वान एडवोकेट मोहित सेठिया ने कहा, “पहले अबोहर-श्रीगंगानगर हाईवे चौड़ीकरण के दौरान भी बड़ी संख्या में पेड़ उखाड़े गए थे, जिससे किन्नू बाग़ों को नुकसान हुआ। अब वही स्थिति फाज़िल्का-अबोहर हाईवे पर भी हो सकती है।”
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मौजूद दस्तावेजों के अनुसार, काटे जा रहे पेड़ों में 8,841 मिसक्वाइट, 2,531 यूकेलिप्टस, 1,038 ड्रेक, 944 कीकर, 423 शीशम, 330 शहतूत और सात अन्य प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं। पेड़ों की कटाई का कार्य बुधवार से शुरू हो गया है।
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मुक्तसर के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर अमृतपाल सिंह बराड़ ने बताया, “पेड़ों की कटाई सभी आवश्यक अनुमतियाँ प्राप्त करने के बाद ही की जा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सभी आवश्यक शुल्क जमा कर दिए हैं। चूंकि फाज़िल्का में वनीकरण के लिए पर्याप्त वन भूमि उपलब्ध नहीं है, इसलिए अमृतसर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे भूमि चिन्हित की गई है। फाज़िल्का जिले में काटे जा रहे पेड़ों के बदले करीब 65,000 पौधे लगाए जाएंगे।”