चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(HC slams Punjab Education Dept over poor state of government schools)पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायालय ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी स्कूलों की वास्तविक स्थिति से “पूरी तरह अनभिज्ञ” प्रतीत होते हैं। अदालत ने शिक्षा सचिव को आदेश दिया है कि राज्य के सभी सरकारी मिडिल स्कूलों में बुनियादी ढांचे और स्टाफ की कमी पर विस्तृत व्यक्तिगत हलफनामा पेश करें।
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मामला अमृतसर के तपिआला स्थित एक सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक की याचिका से जुड़ा है, जिसमें शिक्षक ने अपने तबादले के बावजूद रिलीव न किए जाने की शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि स्कूल में वही एकमात्र शिक्षक कार्यरत था। न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने पाया कि स्कूल में केवल एक कक्षा-कक्ष तीन कक्षाओं (छठी से आठवीं) के लिए उपलब्ध था और केवल दो शौचालय थे — स्टाफ के लिए कोई सुविधा नहीं थी। स्कूल में हेडमास्टर या अन्य कर्मचारी भी नहीं थे, और प्रभार एक ऐसे प्रिंसिपल के पास था जो पहले से ही दूसरे स्कूल का अतिरिक्त कार्य देख रहे थे।
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अदालत ने कहा कि ऐसे हालात पंजाब के सरकारी स्कूलों की “दुर्दशा” को उजागर करते हैं। न्यायमूर्ति शेखावत ने टिप्पणी की कि “किसी राष्ट्र का भाग्य उसके युवाओं के हाथों में होता है” और बच्चे का व्यक्तित्व प्रारंभिक शिक्षा के वर्षों में बनता है। पीठ ने यह भी कहा कि शिक्षा कोई उपभोक्ता सेवा नहीं बल्कि एक संवैधानिक दायित्व है, और सरकार को बिना किसी सामाजिक या आर्थिक भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।