नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Big Bank Merger Plans Unveiled: Major PSU Banks May Combine Soon) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े पैमाने पर विलय की तैयारियां एक बार फिर शुरू हो गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया है कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ बैंकों को मिलाना नहीं, बल्कि ऐसे विशाल और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक तैयार करना है जो निजी क्षेत्र के बैंकों के समान दक्षता से कार्य कर सकें। सरकार चाहती है कि पीएसयू बैंकों के पास मजबूत पूंजी, उन्नत तकनीक, आधुनिक प्रबंधन और प्रभावी संचालन क्षमता हो।
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इस दिशा में कई संभावित संयोजनों पर विचार चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जैसे UCO बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज़ बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का विलय बैंक ऑफ इंडिया में किया जा सकता है। वहीं एक अन्य संभावना यह है कि बैंकों को उनके कार्यक्षेत्र और तकनीकी आधार पर जोड़ा जाए—जैसे UCO बैंक और सेंट्रल बैंक का पंजाब नेशनल बैंक से, बैंक ऑफ इंडिया का यूनियन बैंक से, और इंडियन ओवरसीज़ बैंक का इंडियन बैंक से विलय किया जाए।
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अगर उद्देश्य केवल आकार बढ़ाना है, तो बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक के विलय से करीब 18–19 लाख करोड़ रुपये के जमा आधार वाला बैंक बन सकता है, जो एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक के संभावित विलय से 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा आधार वाला बैंक तैयार हो सकता है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि असली चुनौती तकनीकी या वित्तीय नहीं, बल्कि संगठनात्मक संस्कृति और कार्यशैली के एकीकरण की होगी। वे कहते हैं कि विलय तभी सफल होगा जब बैंकों को संचालन में अधिक स्वतंत्रता और पेशेवर निर्णय क्षमता दी जाएगी।

















