नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Touch Wood: The Truth Behind This Age-Old Good Luck Ritual)दैनिक बातचीत में हम अक्सर सफलता, सेहत या खुशकिस्मती का ज़िक्र करते समय तुरंत पास रखी लकड़ी को छूकर “टच वुड” कह देते हैं। यह आम आदत पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या सचमुच लकड़ी छूने से बुरी नज़र से बचाव होता है? इसी सवाल ने एक बार फिर लोगों में जिज्ञासा बढ़ा दी है, जिससे यह विषय सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है।
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विश्वभर की संस्कृतियों में बुरी नज़र का डर एक सामान्य मान्यता है। लोग अचानक होने वाले नुकसान या नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए तरह–तरह के उपाय अपनाते हैं। ‘टच वुड’ भी ऐसा ही एक लोकप्रिय माना जाने वाला उपाय है। हालांकि विज्ञान इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं देता, लेकिन परंपरा और विश्वास में इसका गहरा स्थान है। मनोविज्ञान इसे प्लेसिबो इफेक्ट बताता है, यानी लकड़ी छूने से लोगों में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना पैदा होती है।
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इतिहास में झांकें तो इस मान्यता की जड़ें प्राचीन पैगन संस्कृति में मिलती हैं, जहाँ माना जाता था कि पेड़ों में देवी–देवताओं और आत्माओं का वास होता है। वहीं, ईसाई परंपराओं में लकड़ी को ईसा मसीह के क्रॉस से जोड़कर पवित्र माना गया। ज्योतिष के अनुसार लकड़ी का संबंध बृहस्पति और चंद्रमा जैसे शुभ ग्रहों से भी बताया जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक संतुलन का प्रतीक हैं।
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सच चाहे जो भी हो, “टच वुड” कहने की यह परंपरा आज भी लोगों के मन में सकारात्मकता और आश्वासन का भाव जगाने का काम कर रही है—और यही वजह है कि यह विश्वास समय के साथ और भी मजबूत होता गया है।

















