जंगल में छुपा था बारूद … किसने रची नंगल में सांभर को मारने की साजिश ?

नंगल। राजवीर दीक्षित
(Poaching Claims Another Sambar in Nangal) पंजाब के रूपनगर जिला के नंगल में एक बार फिर वन्यजीव शिकार की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जंगल में गेहूं की रोटियों में विस्फोटक छिपाकर एक मादा सांभर को बेरहमी से मार दिया गया। जैसे ही सांभर ने रोटी खाई, विस्फोट उसके चेहरे पर हो गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गई। जान बचाने की कोशिश में वह एनएफएल अस्पताल की ओर भागी, लेकिन वहीं गिरकर उसकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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यह कोई पहली घटना नहीं है। महज एक महीने पहले भी नंगल में शिकारियों द्वारा खदेड़े गए एक सांभर की पेट्रोल पंप कार्यालय से टकराने के बाद मौत हो चुकी है। लगातार हो रही इन घटनाओं से साफ है कि नंगल और आसपास के जंगल शिकारियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनते जा रहे हैं। वन्यजीव विभाग ने इस मामले में गेहूं की रोटी में विस्फोटक रखने के संदेह में दो प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लिया है, लेकिन स्थानीय लोगों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह कार्रवाई नाकाफी है।

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पशु अधिकार संगठनों का आरोप है कि सर्दियों के मौसम में नंगल के आसपास के जंगलों में शिकार के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। यहां तक कि एनएफएल की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ जवानों ने भी शिकारियों की आवाजाही की सूचना दी थी। इसके बावजूद शिकार पर प्रभावी रोक नहीं लग पाई।

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सूत्रों के मुताबिक, वन्यजीव विभाग के पास करीब 80 किलोमीटर क्षेत्र में गश्त के लिए सिर्फ एक पुराना वाहन है, जिससे पूरे जिले में गश्त और घायल जानवरों के रेस्क्यू का काम किया जाता है। पशु अधिकार कार्यकर्ता कुलदीप चंद का कहना है कि रोपड़ में वन्यजीव विभाग के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ, जिससे शिकारियों के हौसले बुलंद हैं।

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वन्यजीव विभाग की अधिकारी मोनिका यादव ने कहा है कि अभयारण्यों के बाहर शिकार रोकने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय वन विभाग की है। हालांकि, जब तक संसाधन, स्टाफ और स्पष्ट जिम्मेदारी तय नहीं होती, तब तक रोपड़ जैसे वन बहुल जिलों में वन्यजीवों पर खतरा बना रहेगा।

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