नंगल । राजवीर दीक्षित
(Nangal Hospital’s Rat Problem Raises Alarms Over Patient Safety) नंगल का शहीद लाला लाजपत राय सिविल अस्पताल, जो हमेशा किसी न किसी कारण चर्चा में रहता है, इन दिनों गंभीर खतरे की आशंका से जूझ रहा है। अस्पताल परिसर में चूहों का आतंक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खतरे की घंटी बनकर उभरा है। हाल में एक वीडियो सामने आया है, जिसमें चूहे मरीजों के बिस्तरों और खाने-पीने के सामान को संक्रमित करते दिखाई दे रहे हैं।
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इस घटना ने अस्पताल की अव्यवस्था और खराब रखरखाव की पोल खोलकर रख दी है। इस बीच, अस्पताल की एसएमओ, डॉ. सुरिंदर कौर ने बयान जारी करते हुए कहा है कि उन्हें इस तरह की किसी बात की जानकारी नहीं है और रखरखाव के प्रबंध बेहतर ढंग से किए जा रहे हैं।
नंगल में चूहों का अस्पताल में मरीजों के सामान और बिस्तरों में घूमना आने वाले किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है। प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी का मुख्य कारण भी चूहे ही होते हैं, और यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बन गई है।
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मरीजों और उनके परिजनों के बीच डर का माहौल है, और लोगों में असुरक्षा की भावना गहराने लगी है। पहले से ही अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं के कारण इस अस्पताल में इलाज कराना एक कठिन चुनौती थी, और अब इस नई समस्या के कारण हालात और बिगड़ते नजर आ रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर पंजाब में सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा और रखरखाव की कमी को उजागर किया है। जहां मरीजों को बेहतर इलाज और देखभाल की उम्मीद होती है, वहां स्वच्छता की कमी और जानलेवा बीमारियों के फैलने का खतरा गंभीर चिंता का विषय है।
नंगल का यह अस्पताल पहले से ही पर्याप्त संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। इलाज के लिए मरीजों को अक्सर चंडीगढ़ या जालंधर का रुख करना पड़ता है। लेकिन अब चूहों के आतंक ने हालात और बदतर कर दिए हैं, जिससे मरीजों और कर्मचारियों दोनों में भय और चिंता का माहौल बन गया है।
चूहे सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि अस्पताल की भोजन व्यवस्था और दवाओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह न केवल मरीजों की जान को जोखिम में डालेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है।
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इस मामले में अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई ठोस जवाब न देना या समस्या की जानकारी से इनकार करना, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। अगर रखरखाव सही ढंग से किया जा रहा है, तो चूहे अस्पताल के बिस्तरों और खाने-पीने के सामान तक कैसे पहुंच रहे हैं? प्लेग जैसी बीमारी, जिसे एक समय देश मे महामारी घोषित किया गया था, चूहों से ही फैलती है। ऐसी स्थिति में प्रशासन का लापरवाही दिखाना किसी अनहोनी को दावत देने जैसा है।
इसके अलावा, अस्पताल में पहले से ही पर्याप्त सुविधाओं की कमी है, जिससे मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। अब इस चूहे की समस्या ने अस्पताल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर प्रशासन ने जल्द कोई कड़ा कदम नहीं उठाया, तो मरीजों का भरोसा अस्पताल से पूरी तरह उठ सकता है।
आप पढ़ रहे है ‘द टारगेट न्यूज’ लोगो को जागरूक करने के लिए इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। आपको बता दे प्लेग एक ऐसी बीमारी है, जिसने इतिहास में कई बार बड़ी तबाही मचाई है। इसकी शुरुआत अक्सर चूहों के जरिए फैलने वाले बैक्टीरिया ‘यर्सिनिया पेस्टिस’ से होती है। अगर संक्रमित चूहों का संपर्क अस्पताल के भोजन, दवाओं या मरीजों के बिस्तरों से हो गया, तो स्थिति बेकाबू हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि प्रशासन तुरंत अस्पताल की सफाई और संक्रमण नियंत्रण के उपाय करे।
चूहों से न केवल प्लेग का खतरा है, बल्कि अन्य संक्रमण भी तेजी से फैल सकते हैं। अस्पताल जैसी जगहों पर स्वच्छता की अहमियत और बढ़ जाती है, क्योंकि यहां बीमार लोग पहले से ही कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के साथ होते हैं। मरीजों का बिस्तर और भोजन संक्रमित होना अस्पताल की लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत है।
इस घटना के बाद से न केवल मरीज, बल्कि उनके परिजन और स्थानीय लोग भी डरे हुए हैं। जिस अस्पताल में लोग इलाज के लिए जाते हैं, वहां खुद चूहों के आतंक और बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। मरीजों में भरोसे की कमी साफ नजर आने लगी है, और कई लोग अब इस अस्पताल में इलाज कराने से कतराने लगे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को अस्पताल की व्यवस्थाओं पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। अगर समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो अस्पताल स्वास्थ्य संकट का केंद्र बन सकता है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
नंगल के शहीद लाला लाजपत राय सिविल अस्पताल में चूहों का आतंक और प्लेग जैसी बीमारी का खतरा किसी बड़े स्वास्थ्य संकट का संकेत दे रहा है। इस मामले में प्रशासन की लापरवाही और समस्या से अनजान होने का दावा स्थिति को और भी चिंताजनक बना देता है। अस्पतालों में स्वच्छता और सुरक्षा के मानकों का पालन न करना मरीजों की जान को सीधे जोखिम में डालता है।
अब जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन मिलकर इस मामले को प्राथमिकता के साथ सुलझाएं। अस्पताल में संक्रमण नियंत्रण, सफाई व्यवस्था और कीट नियंत्रण के उचित उपाय किए जाने चाहिए। साथ ही, इस तरह की घटनाओं को दोबारा न होने देने के लिए निगरानी और निरीक्षण व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए।
अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह अस्पताल न केवल मरीजों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। प्रशासन की तत्परता और जिम्मेदारी ही इस संकट से निपटने का एकमात्र उपाय है।