खास खबर: ‘हॉलमार्क’ को लेकर सुनार से पूछे यह सवाल, धनतेरस पर सोना खरीदने से पहले असली नकली की करें पहचान।

दिल्ली । राजवीर दीक्षित

(Unlocking Wealth: Essential Tips for Buying Gold This Dhanteras) सुख-समृद्धि का प्रतीक धनतेरस का पर्व इस बार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन ज्वेलर्स की दुकानों पर ग्राहकों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे में हर कोई जल्दी में खरीदारी करना चाहता है। लेकिन सोना एक महंगी धातु है। इसकी खरीदारी में जल्दबाजी दिखाना आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है।

इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि धनतेरस पर सोना खरीदने से पहले क्या सावधानियां बरतें। साथ ही जानेंगे कि-

सोने की ज्वेलरी की शुद्धता कैसे चेक कर सकते हैं?, असली और नकली हॉलमार्क में क्या अंतर है?
एक्सपर्ट: अभिषेक सोनी, जौहरी (गोंडा, उत्तर प्रदेश) से विशेष बातचीत

धनतेरस पर सोना खरीदने की परंपरा

प्राचीन काल से सोने की ज्वेलरी भारतीय कल्चर का हिस्सा रही है। धनतेरस के समय सोना खरीदने वालों की संख्या में कई गुना इजाफा होता है। नए-नए डिजाइनों की वजह से लोग सोने की ज्वेलरी की ओर आकर्षित होते हैं और हर साल बढ़-चढ़कर इसकी खरीदारी करते हैं।

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सवाल- सोने की ज्वेलरी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जवाब- जब सोने की ज्वेलरी खरीदने की बात आती है तो हममें से ज्यादातर लोग दुकानों में जाना, कीमतों की तुलना करना और फिर खरीदारी करना पसंद करते हैं। लेकिन इस दौरान कई जरूरी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। जैसेकि सोने की शुद्धता की जांच।

24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध सोना होता है, जिसमें 99.9% सोना होता है। यह बहुत नर्म और लचीला होता है। इसलिए इससे ज्वेलरी नहीं बनाई जा सकती है। आमतौर पर ज्वेलरी के लिए 22, 18 या 14 कैरेट के सोने का इस्तेमाल किया जाता है।

लेकिन कई बार ज्वेलर्स सोने की क्वालिटी के साथ छेड़छाड़ भी कर सकते हैं। जिस ज्वेलरी को 22 कैरेट का बताकर बेचा गया हो, वह 18 या 14 कैरेट की हो सकती है। ऐसे में ग्राहक को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अगर आप इस धनतेरस पर सोना खरीदने का मन बना रहे हैं तो ग्राफिक में दी गई इन बातों का जरूर ध्यान रखें।

सवाल- सोने की ज्वेलरी की शुद्धता कैसे चेक करें?

जवाब- खरीदारी के समय सोने की शुद्धता की जांच करने के लिए सोने की ज्वेलरी या सिक्के पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का हॉलमार्क चिन्ह जरूर देखें। हॉलमार्क एक सरकारी गारंटी है। भारत सरकार ने 1 अप्रैल, 2023 से देश में सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्क को अनिवार्य कर दिया है। भारत सरकार के मुताबिक, सोने की ज्वेलरी पर बने हॉलमार्क पर तीन साइन होने चाहिए।

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BIS स्टैण्डर्ड मार्क
शुद्धता ग्रेड (कैरेट नंबर)
6 अंकों का अल्फा न्यूमेरिक कोड यानी HUID नंबर

सवाल- सोने की ज्वेलरी पर लिखा हॉलमार्क असली है या नकली, इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं?

जवाब- हॉलमार्किंग BIS द्वारा जारी क्वालिटी सर्टिफिकेट है, जो सोने की शुद्धता की गारंटी देता है। कई बार ज्वेलर्स सोने की ज्वेलरी बेचते समय दावा करते हैं कि यह 22 कैरेट है, भले ही वह 22 कैरेट से कम शुद्धता का सोना हो। इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको असली हॉलमार्किंग के साइन के बारे में पता होना चाहिए। किसी सोने की ज्वेलरी पर अगर आपको हॉलमार्क नहीं दिखता है या हॉलमार्क संदिग्ध लगता है तो सतर्क रहें।

हालांकि, सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्क होने का यह अर्थ नहीं है कि वह असली है। हॉलमार्क नकली भी हो सकते हैं। इसलिए इसकी पहचान करना बेहद जरूरी है।

सवाल- गोल्ड ज्वेलरी की खरीदारी के समय ज्वेलर्स से कौन से जरूरी सवाल पूछने चाहिए?

जवाब- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सोना एक महंगी धातु है। इसकी क्वालिटी वजन या कीमत में जरा सा हेरफेर हजारों का चूना लगा सकता है। इसलिए सोने की ज्वेलरी की खरीदारी से पहले जौहरी से इन तीन चीजों के बारे में जरूर पता करें।

शहर में सोने का रेट

भारत में ज्यादातर सोना आयात किया जाता है। इसलिए आयात शुल्क, एक्सचेंज रेट और स्थानीय टैक्स सोने की कीमतों को प्रभावित करते हैं। राज्य और अलग-अलग शहरों के लोकल टैक्स और ज्वेलरी मेकिंग चार्ज भी सोने के दामों पर असर डालते हैं। इसलिए इन धनतेरस पर सोने का सिक्का या ज्वेलरी खरीदने से पहले अपने शहर में सोने का भाव जरूर पता करें। हर शहर में सोने के दामों में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है।

कैरेट के बारे में जरूर पूछें

ज्वेलर्स अलग-अलग कैरेट के मुताबिक ज्वेलरी बनाते हैं। कैरेट के मुताबिक ज्वेलरी के रेट में भी काफी अंतर होता है। इसलिए ज्वेलरी की खरीदारी से पहले एक बार अपने ज्वेलर से उसके कैरेट के बारे में जरूर पूछें। कैरेट के अनुसार ही उसकी कीमत दें।

मेकिंग चार्ज में मोलभाव करें

आमतौर पर ज्वेलर्स को सोना खरीदते समय कीमत में ज्यादा अंतर नहीं मिलता है। इसलिए वे अपने मन-मुताबिक ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज लगाते हैं और मनमाना पैसा वसूलते हैं। मेकिंग चार्ज ज्वेलरी बनाने के समय, मजदूरी और नग की क्वालिटी से तय होता है। इसलिए ग्राहक को खरीदारी के वक्त मेकिंग चार्ज जरूर पूछना चाहिए। ज्वेलरी के अनुसार आप मोलभाव भी कर सकते हैं। इससे ज्वेलरी के रेट में थोड़ी-बहुत छूट मिल सकती है।