चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Farmers Injured as Protest Escalates Towards Delhi) शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच की तैयारी की है, लेकिन इस बार स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पंजाब से दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प हुई, जिसमें कई किसान घायल हो गए।
पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कुछ किसानों को हिरासत में लिया। किसान नेता सरवन सिंह पंढ़ेर ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने करीब तीन घंटे बाद शंभू बॉर्डर से पीछे हटने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि स्कूल, इंटरनेट और अन्य सेवाएं बंद हों, इसलिए केंद्र सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं। पंढ़ेर ने सरकार को शनिवार तक का समय दिया है, जिसके बाद रविवार को फिर से दिल्ली कूच करने का इरादा है।
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किसानों की मांगें और सरकार का रुख
किसान संगठनों का कहना है कि उनकी प्रमुख मांगें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों की लागत का डेढ़ गुना MSP हैं। पंढ़ेर ने कहा, “हम निहत्थे थे, लेकिन हमारे साथ दुश्मन जैसा व्यवहार किया जा रहा है।” इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कहा कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है और सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
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राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति
किसानों के आंदोलन को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल उठाया है कि अगर किसान मोदी सरकार की प्राथमिकता हैं, तो वे सड़कों पर क्यों हैं? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि अन्नदाताओं की पीड़ा को समझना जरूरी है और उनकी मांगों का समर्थन किया जाना चाहिए।
किसान नेता पंढ़ेर ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार बातचीत करने में रुचि नहीं दिखाती है, तो वे अपने मार्च को जारी रखेंगे। “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहते हैं,” उन्होंने कहा।
शंभू बॉर्डर पर चल रहे इस आंदोलन में किसान अपनी आवाज उठाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। अब देखना यह होगा कि क्या सरकार उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार होती है या किसान फिर से दिल्ली कूच करने का प्रयास करेंगे।