शिक्षकों के तबादले को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी में सरकार, म्यूचुअल ट्रांसफर हो सकते हैं बंद!

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

( Major Overhaul of Teacher Transfer Policy) सरकार शिक्षकों के तबादला नीति में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। शिक्षा विभाग की हालिया बैठक में म्यूचुअल ट्रांसफर पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है। अब इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाएगा। यदि प्रस्ताव मंजूर होता है, तो शिक्षक अब आपसी सहमति से स्थानांतरण नहीं करा सकेंगे।

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तबादलों पर अप्रैल से हटेगा प्रतिबंध, नई नीति लागू होगी

हिमाचल प्रदेश में लगभग 80 हजार शिक्षकों के तबादलों पर पहली अप्रैल से प्रतिबंध हटाया जाएगा, लेकिन नई नीति के तहत केवल उन्हीं शिक्षकों का तबादला होगा, जिन्होंने तीन वर्ष या अधिक का कार्यकाल पूरा कर लिया है।

पिछले वर्ष शैक्षणिक सत्र के बीच तबादलों पर रोक लगाई गई थी, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। पहली अप्रैल से शुरू होने वाली स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए शिक्षकों को 15 से 20 दिन का समय दिया जाएगा।

➡️ महिला के उतारे कपड़े, सोने की चेन उतार कमरे में ले जाने की भी हुई कोशिश।

शिक्षा मंत्री के साथ हुई समीक्षा बैठक

पिछले सप्ताह राज्य सचिवालय में हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में नई तबादला नीति पर विस्तृत चर्चा की गई। अधिकारियों का मत था कि यदि म्यूचुअल ट्रांसफर की अनुमति दी जाती है, तो कुछ स्कूलों में शिक्षकों की संख्या असंतुलित हो सकती है। इसलिए अब शिक्षकों के तबादले केवल स्कूलों में तैनाती की स्थिति को ध्यान में रखकर किए जाएंगे।

नई नीति के तहत अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

स्कूलों में शिक्षकों की संख्या को संतुलित रखा जाएगा, ताकि किसी भी विद्यालय में शिक्षक पद रिक्त न रहे।

विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए तबादले का निर्णय पूरी स्थिति का आकलन करने के बाद ही लिया जाएगा।

स्थानांतरित शिक्षकों को तय समय में नियुक्ति देनी होगी, जिसके बाद दोबारा तबादलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

तबादलों पर रोक का दिखा सकारात्मक असर

पिछले साल सरकार ने शैक्षणिक सत्र के बीच शिक्षकों के तबादले न करने का निर्णय लिया था, जिससे शिक्षा स्तर में सुधार देखा गया। असर रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी और पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के प्रदर्शन में हिमाचल प्रदेश देशभर में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है।

सरकार के इस कदम से शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता और गुणवत्ता सुधार की उम्मीद की जा रही है। अब सबकी नजरें मंत्रिमंडल की बैठक पर टिकी हैं, जहां इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।