नई दिल्ली । राजवीर दीक्षित
(Army Cancels Leave of Nepal-Origin Gorkhas)नेपाल में बढ़ते अशांति के बीच भारतीय सेना ने अपने नेपाल-निवासी गोरखा सैनिकों की वार्षिक छुट्टियों को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इसके साथ ही, पहले से छुट्टी पर गए सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर जांच की गई। सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में नेपाल स्थित अपने-अपने घरों में छुट्टी पर गए सभी गोरखा सैनिक सुरक्षित हैं। सभी गोरखा बटालियनों के कमांडिंग अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे छुट्टी पर गए हर सैनिक की स्थिति की पुष्टि करें, और जांच में पाया गया कि सभी सुरक्षित हैं।
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सेना अब नेपाल में मौजूद सैनिकों की छुट्टी स्थिति के अनुसार बढ़ाने पर विचार कर रही है। एहतियातन, मंज़ूर की गई छुट्टियों को अस्थायी रूप से रोका गया है—रद्द नहीं किया गया है, बल्कि नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सिर्फ टाला गया है। भारतीय सेना में हर सैनिक को निश्चित अवधि की वार्षिक छुट्टी मिलती है, जिसे आमतौर पर साल में दो बार मंजूर किया जाता है। कमांडिंग अधिकारी अपनी बटालियन के सैनिकों की छुट्टियों को चरणबद्ध तरीके से मंजूर करते हैं ताकि संचालन की क्षमता पर असर न पड़े।
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भारतीय सेना में गोरखा रेजिमेंट की 35 बटालियनें हैं, जिनमें प्रत्येक में लगभग 800 सैनिक होते हैं। इनमें से करीब 40 प्रतिशत सैनिक नेपाल-निवासी गोरखा हैं, जबकि शेष 60 प्रतिशत भारतीय-निवासी गोरखा हैं, जो उत्तराखंड, सिक्किम और उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र से आते हैं। नेपाल-निवासी गोरखा भारतीय सेना की मशीनीकृत पैदल सेना इकाइयों में भी सेवा करते हैं। अनुमानतः 30,000 नेपाल-निवासी गोरखा वर्तमान में भारतीय सेना में कार्यरत हैं।
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हालाँकि, 2020 से नेपाल-निवासी गोरखाओं की सीधी भर्ती नहीं हुई है, क्योंकि उस समय कोविड महामारी के कारण भर्ती रोक दी गई थी। 2022 में ‘अग्निवीर योजना’ शुरू की गई, जिसमें सैनिकों को चार साल की सेवा का प्रावधान है, और उसके बाद 50 प्रतिशत सैनिकों को स्थायी रूप से बनाए रखने का विकल्प है। उल्लेखनीय है कि नेपाल ने अपने युवाओं को अग्निवीर योजना के तहत भर्ती के लिए भेजने से इनकार कर दिया है।