नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Chicken Came First, Say Scientists)मुर्गी पहले आई या अंडा? यह सवाल सदियों से लोगों की जिज्ञासा का विषय रहा है। दार्शनिक बहसों से लेकर विज्ञान की प्रयोगशालाओं तक, यह रहस्य हमेशा चर्चा में रहा। अब वैज्ञानिकों ने इस पुराने सवाल का ऐसा जवाब दिया है, जिसने दुनिया भर में नई बहस छेड़ दी है।
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यूके की शेफ़ील्ड और वारविक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, मुर्गी पहले आई। उनके शोध का आधार अंडे के छिलके में पाया जाने वाला एक खास प्रोटीन है, जिसे OC-17 (ओवोक्लैडिन-17) कहा जाता है। यह प्रोटीन केवल मुर्गी के अंडाशय में ही बनता है और अंडे के मजबूत छिलके के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना OC-17 प्रोटीन के अंडे का कठोर छिलका बन ही नहीं सकता। सुपर कंप्यूटर की मदद से किए गए अध्ययन में यह सामने आया कि यह प्रोटीन कैल्शियम कार्बोनेट को बेहद तेजी से क्रिस्टल में बदल देता है, जिससे मात्र 24 से 26 घंटों में मजबूत अंडे का छिलका तैयार हो जाता है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि पहली असली मुर्गी के बिना पहला असली मुर्गी का अंडा संभव नहीं था।
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हालांकि विकासवाद के नजरिए से देखें तो अंडे करोड़ों सालों से मौजूद हैं। डायनासोर और प्राचीन पक्षी भी अंडे देते थे। आज की मुर्गी धीरे-धीरे लाल जंगली पक्षी से विकसित हुई। इसी विकास प्रक्रिया में पहली असली मुर्गी और उसका अंडा अस्तित्व में आया।
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यह शोध केवल एक रोचक पहेली का समाधान नहीं है, बल्कि भविष्य में मजबूत सामग्री निर्माण और चिकित्सा विज्ञान में नई संभावनाओं के द्वार भी खोल सकता है। यही वजह है कि यह खबर इन दिनों वैज्ञानिक और आम पाठकों के बीच तेजी से ट्रेंड कर रही है।

















