पानी का कहर अभी थमा नहीं ! घटते जल आगमन के बावजूद बांधों से भारी पानी छोड़ा जा रहा,खतरा बरकरार !

चंडीगढ़/नंगल । राजवीर दीक्षित

(Flood Danger Persists: Dams Release Heavy Water Despite Falling Inflows)उत्तर भारत के बड़े बांधों से निकलने वाला पानी अब भी लाखों लोगों के लिए खतरे की घंटी बना हुआ है। पोंग और भाखड़ा बांधों में पानी का आगमन (इनफ्लो) भले ही तेज़ी से घटा हो, लेकिन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) दोनों बांधों से भारी मात्रा में पानी छोड़ने पर मजबूर है।

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पोंग बांध में जल आगमन 67 प्रतिशत तक गिर चुका है। शनिवार को जहां करीब 98,418 क्यूसेक पानी बांध में आ रहा था, वहीं रविवार शाम यह घटकर 32,150 क्यूसेक रह गया। लेकिन ध्यान दीजिए — कम इनफ्लो के बावजूद पोंग बांध से 99,875 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है! बांध का जलस्तर 1,391.99 फीट पहुंच गया है, यानी सुरक्षित सीमा से करीब 2 फीट ऊपर। जब तक जलस्तर नीचे नहीं जाता, पानी का तेज़ बहाव निचले क्षेत्रों में कहर बरपा सकता है।

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भाखड़ा बांध की हालत भी कम खतरनाक नहीं है। रविवार सुबह जहां पानी का आगमन 88,668 क्यूसेक दर्ज हुआ था, शाम तक यह 41,665 क्यूसेक तक सिमट गया। बावजूद इसके, बांध से 65,000 से 70,000 क्यूसेक पानी लगातार छोड़ा जा रहा है। रविवार शाम को बांध का जलस्तर 1,677.59 फीट दर्ज हुआ — अधिकतम सीमा 1,680 फीट से बस 2 फीट नीचे। यानि बांध में जगह बेहद सीमित है और दबाव बेहद ज़्यादा।

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रणजीत सागर बांध (रावी) से भी 32,960 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि इनफ्लो 24,852 क्यूसेक ही है।
बीबीएमबी ने साफ़ कर दिया है कि आने वाले कुछ दिनों तक भाखड़ा से 70,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा ताकि बांध का स्तर थोड़ा घट सके। छोड़े जा रहे पानी में से करीब 55,000 क्यूसेक सतलुज नदी के प्राकृतिक प्रवाह में जाएगा और 15,000 क्यूसेक नंगल व आनंदपुर साहिब हाइडल नहरों में।

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रूपनगर और आसपास के लोगों को थोड़ी राहत ज़रूर मिली है क्योंकि सतलुज की सहायक नदियों — स्वां और सिरसा — में पानी का बहाव फिलहाल कम हुआ है। लेकिन यह राहत अस्थायी है — बांधों से भारी पानी का बहाव किसी भी समय निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ा सकता है। हालात पर कड़ी नज़र बनाए रखना अब ज़रूरी ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है।

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