GST में बड़े बदलाव की तैयारी, कितने प्रतिशत हटेगा स्लैब का प्रस्ताव! जानिए क्या होगा सस्ता और क्या महंगा

नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Big GST Overhaul Coming: 12% Slab Likely to Go)देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के ढांचे को और सरल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक में मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर तीन स्लैब करने पर विचार किया जा रहा है। खास बात यह है कि 12% की दर को पूरी तरह खत्म करने का प्रस्ताव तैयार है।

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जानकारी के अनुसार, इस बदलाव का मकसद टैक्स प्रणाली को आसान बनाना और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं को कम टैक्स स्लैब में रखना है। इस योजना के तहत जरूरी चीजें 5% स्लैब में रखी जा सकती हैं, जबकि बाकी वस्तुओं को 18% स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे टैक्स दरों का स्ट्रक्चर ज्यादा सहज और पारदर्शी हो जाएगा।

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क्या होगा सस्ता और क्या महंगा?
अगर 12% स्लैब हटता है, तो उसमें आने वाली कई जरूरी वस्तुएं जैसे मसाले, डिटर्जेंट और पनीर आदि 5% या 18% स्लैब में आएंगी। मसाले और कुछ आवश्यक वस्तुएं 5% स्लैब में आ जाने से सस्ती होंगी, जबकि डिटर्जेंट और प्लास्टिक से बने सामान 18% स्लैब में जाने से महंगे हो सकते हैं।

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12% स्लैब में अभी क्या-क्या आता है?
12% स्लैब में गाढ़ा दूध, पैक पानी, पनीर, सूखे मेवे, जैम-जेली, घरेलू बर्तन, पेंसिल, जूते (1000 रुपये से कम कीमत के), डायग्नोस्टिक किट आदि शामिल हैं।

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कब होगी जीएसटी काउंसिल की बैठक?
जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक जून-जुलाई के अंत तक हो सकती है, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। इस बैठक में टैक्स स्लैब को आसान बनाने के साथ-साथ अनुपालन बढ़ाने और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होगी।

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विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
टैक्स एक्सपर्ट सौरभ अग्रवाल के अनुसार, 12% स्लैब को हटाकर तीन स्लैब सिस्टम अपनाना सही कदम होगा। हालांकि, इससे रेवेन्यू पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत का टैक्स स्ट्रक्चर अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब आएगा और जीएसटी सिस्टम में सुधार होगा।

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क्यों जरूरी है बदलाव?
भारत में जीएसटी रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा है, लेकिन स्लैब प्रणाली जटिल है। अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत के पास अधिक टैक्स स्लैब हैं। तीन स्लैब की व्यवस्था से टैक्स कलेक्शन को बेहतर बनाते हुए सिस्टम को सरल किया जा सकेगा।

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