✍ रिपोर्ट – राजवीर दीक्षित
(Public Joins ‘Sadda MLA Sadde Naal’; Team Harjot Bains Leads the Charge)हर रविवार को नंगल के सेवा सदन में आयोजित होने वाले ‘साड्डा MLA साड्डे नाल’ कार्यक्रम में इस बार एक नया इतिहास रच गया। भारी भीड़ और जनसैलाब को देखते हुए कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस की टीम ने पहली बार बेहद सुनियोजित व्यवस्थाएं कीं, जिससे न सिर्फ जनता की समस्याएं सहजता से सुनी जा सकीं, बल्कि लोगों में एक नया विश्वास भी पैदा हुआ कि “वाकई, अब बात सुनी जा रही है”।
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इस सप्ताह कार्यक्रम में सैकड़ों की तादाद में लोग पहुंचे, जिनकी समस्याओं को सुनने और निपटाने के लिए बाकायदा एक टोकन सिस्टम लागू किया गया। “पहले आओ, पहले मिलो” की नीति पर चलते हुए हर व्यक्ति को क्रमवार मिलने का अवसर दिया गया। इस व्यवस्था का मकसद था – सिफारिश की गुंजाइश को खत्म करना और हर आम नागरिक को बराबरी से बोलने का हक देना।
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टीम हरजोत बैंस की यह पहल खास इसलिए भी मानी जा रही है क्योंकि इसमें कोई भेदभाव नहीं रखा गया। चाहे कोई किसान हो, व्यापारी, बेरोजगार युवा या बुजुर्ग – हर वर्ग को मंत्री से आमने-सामने बात करने का मौका मिला। हरजोत बैंस ने न केवल हर व्यक्ति को खुद सुना, बल्कि हर समस्या का समाधान संबंधित अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के आदेश देकर करने की कोशिश भी की।
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कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का कहना था कि ऐसी पारदर्शिता पहले कभी देखने को नहीं मिली। जहां अधिकतर जनसुनवाई कार्यक्रम केवल औपचारिकता तक सीमित रहते हैं, वहीं ‘साड्डा MLA साड्डे नाल’ एक जनता-जनप्रतिनिधि संवाद का जीवंत मंच बनता जा रहा है।
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हरजोत बैंस ने इस अवसर पर…. हमारी जिम्मेदारी है
हरजोत बैंस ने इस अवसर पर कहा, “जनता ने हमें सेवा के लिए चुना है, और हमारा धर्म है कि हम उनकी सेवा को बिना किसी रुकावट के निभाएं। यह कोई एहसान नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है।”
इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को भी सख्त निर्देश दिए कि लोगों की शिकायतों को सिर्फ सुना ही न जाए, बल्कि समयबद्ध समाधान भी सुनिश्चित किया जाए। इससे कार्यक्रम की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता और बढ़ी है।
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कार्यक्रम में दिखी भावनात्मक जुड़ाव की तस्वीरें, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की भागीदारी, और मंत्री के साथ सहज संवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह महज एक राजनीतिक पहल नहीं, बल्कि जनता की सेवा का एक समर्पित मंच है।
इस बार की सफलता ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि जब ईमानदार नेतृत्व और सशक्त प्रबंधन साथ हो, तो लोकतंत्र की सबसे सुंदर तस्वीर सामने आती है