NDPS मामलों की सुनवाई तेज़ करने के निर्देश — पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(HC directs faster trials in NDPS cases — Major order by Punjab & Haryana High Court)पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम (NDPS) से जुड़े मामलों की तेज़ और समयबद्ध सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष अदालतों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश जस्टिस अनूप चितकारा ने उस समय दिया जब उन्होंने एक आरोपी की चौथी ज़मानत याचिका खारिज की, जिसे 6 किलोग्राम ‘आइस’ (मेथ) और 21 किलोग्राम हेरोइन के साथ गिरफ़्तार किया गया था।

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याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हालांकि “त्वरित सुनवाई का अधिकार” एक संवैधानिक गारंटी है, लेकिन कई आरोपी जानबूझकर इस अधिकार का दुरुपयोग कर कार्यवाही में देरी करते हैं। जस्टिस चितकारा ने टिप्पणी की — “न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है; लेकिन जब देरी स्वयं की बनाई हो, तो अनुच्छेद 21 स्वतंत्रता की तलवार नहीं, बल्कि सुविधा की ढाल बन जाता है।”

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हाईकोर्ट ने NDPS मामलों की त्वरित निपटान के लिए नौ बिंदुओं वाले दिशा-निर्देश जारी किए, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे। इन निर्देशों के तहत, फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को NDPS नमूनों की जांच को प्राथमिकता देने के आदेश दिए गए हैं। किसी भी अनुचित देरी के लिए प्रयोगशाला निदेशक और उप-निदेशक ज़िम्मेदार ठहराए जाएंगे।

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अदालत ने कहा कि जांच कार्य को 180 दिनों की वैधानिक सीमा से पहले पूरा किया जाए। यदि कोई आरोपी BNSS की धारा 187 के तहत “डिफॉल्ट बेल” प्राप्त करता है, तो जांच एजेंसी को चार्जशीट दाखिल न होने के कारणों की समीक्षा IPS अधिकारी के माध्यम से करनी होगी।

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इसके अलावा, ट्रायल कोर्ट में पेश न होने, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग विफलता, गवाहों की अनुपस्थिति, या वकीलों द्वारा जानबूझकर की गई देरी के मामलों में भी जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए गए हैं।
जस्टिस चितकारा ने कहा कि ये कदम आपराधिक न्याय प्रणाली की साख और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं ताकि NDPS मामलों का निष्पक्ष और तेज़ निपटारा सुनिश्चित हो सके।

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