हाईकोर्ट ने खिलाड़ियों की याचिका खारिज की, डीएसपी नियुक्तियों में वरिष्ठता को लेकर दिया फैसला

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

(HC Rejects Sportspersons’ Plea, Rules on DSP Seniority)पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ममता खरब और अन्य खिलाड़ियों द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिन्हें खेल कोटे के तहत हरियाणा में डीएसपी नियुक्त किया गया था। अदालत ने कहा कि उनकी वरिष्ठता प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नहीं मानी जा सकती।

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न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और रोहित कपूर की खंडपीठ ने कहा, “हम इस विचार से सहमत हैं कि राज्य द्वारा याचिकाकर्ताओं को प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने की तारीख से पुष्टि का लाभ देना उचित, कानूनी और न्यायसंगत है। वरिष्ठता का इस आधार पर निर्धारण भी उचित है और इसमें दखल देने की आवश्यकता नहीं है।”

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ममता खरब और अन्य याचिकाकर्ता — जो सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं और हरियाणा व भारत का नाम रोशन कर चुके हैं — ने दलील दी थी कि उनकी वरिष्ठता उनकी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से मानी जानी चाहिए। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि वे हरियाणा पुलिस सेवा नियम, 2002 के नियम 12 के तहत नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता पाने के हकदार नहीं हैं, क्योंकि नियमों के अनुसार वरिष्ठता सेवा में पुष्टि की तारीख से मानी जाती है।

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अदालत ने यह भी कहा कि खेल कोटे से नियुक्त डीएसपी अपने दो साल की निर्धारित प्रशिक्षण अवधि में, या फिर एक साल की बढ़ाई गई अवधि में भी प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाए। अंततः उनकी पुष्टि 23 नवंबर 2023 को प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने की तारीख से की गई। खंडपीठ ने माना कि प्रशिक्षण पूरा करने में देरी का एक कारण यह भी हो सकता है कि खिलाड़ी विभिन्न मंचों पर राज्य या राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। फिर भी, प्रशिक्षण पूरा करना डीएसपी पद पर पुष्टि से पहले आवश्यक हिस्सा है।

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सुनवाई के दौरान एक और याचिका पर भी विचार हुआ, जिसे आशीष चौधरी और अन्य नियमित चयन प्रक्रिया से आए याचिकाकर्ताओं ने दायर किया था। उन्होंने प्रशिक्षण पहले पूरा किया और खिलाड़ियों से पहले ही पुष्टि प्राप्त कर ली, जबकि उनकी नियुक्ति बाद में हुई थी।

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खिलाड़ियों की भेदभाव वाली दलील को खारिज करते हुए खंडपीठ ने स्पष्ट किया:
“जहाँ तक पहली याचिका (ममता खरब और अन्य) का सवाल है, इन्हें भर्ती नियम 2002 के तहत परीक्षा में योग्यता दिखाकर नहीं, बल्कि खेल के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों के आधार पर नियुक्त किया गया था। दूसरी ओर, दूसरी याचिका के याचिकाकर्ता भर्ती परीक्षा में योग्यता के आधार पर नियुक्त हुए और उन्होंने प्रशिक्षण समय से पहले पूरा कर लिया। इसलिए दोनों समूहों को समान आधार पर नहीं रखा जा सकता और न ही ‘समानता का सिद्धांत’ एक-दूसरे के खिलाफ लागू किया जा सकता है।”

अदालत ने दूसरी याचिका (नियमित भर्ती वाले उम्मीदवारों) को स्वीकार कर लिया।