चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(74-Year-Old Woman Convicted in 24-Year-Old Immigration Fraud Case) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 24 साल पुराने इमिग्रेशन फ्रॉड मामले में 74 वर्षीय चरणजीत कौर को दोषी करार देते हुए एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति जसजीत सिंह बेदी की अदालत में हुई, जिन्होंने कहा कि अदालतों को ऐसे धोखाधड़ी के मामलों में अनावश्यक सहानुभूति नहीं दिखानी चाहिए, चाहे आरोपी वृद्ध ही क्यों न हो।
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यह मामला वर्ष 1999 का है, जब बठिंडा निवासी चरणजीत कौर और उनके एक सहयोगी पर आरोप लगा था कि उन्होंने दो व्यक्तियों से 15 लाख रुपए लेकर कनाडा भेजने का झांसा दिया, लेकिन न तो उन्हें विदेश भेजा गया और न ही रकम लौटाई गई।
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ट्रायल कोर्ट ने 2008 में महिला को IPC की धारा 420 और 120-B के तहत दोषी ठहराकर दो साल की सख्त कैद सुनाई थी। हाईकोर्ट ने अब सजा को घटाकर एक साल कर दिया, परंतु दोष सिद्धि को बरकरार रखा।
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अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि “सिर्फ उम्रदराज़ होना या मामला पुराना होना, दोषी को रियायत देने का आधार नहीं बन सकता।” कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2010 के फैसले सी. मुनीअप्पन बनाम तमिलनाडु राज्य का हवाला देते हुए कहा कि दोषपूर्ण जांच अपने आप में बरी करने का आधार नहीं होती।
न्यायमूर्ति बेदी ने कहा, “विदेश जाने की लालसा में लोग अपनी जीवनभर की पूंजी गवां बैठते हैं। ऐसे अपराधों पर शुरुआती स्तर पर ही सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए।”