किसानों का स्वतंत्रता दिवस ट्रैक्टर मार्च: एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों के लिए पंजाब और हरियाणा में प्रदर्शन

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

(Farmers Rally with 600 Tractors on Independence Day in Punjab and Haryana) देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंजाब और हरियाणा के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित कई अन्य मांगों को लेकर बृहस्पतिवार को बड़े पैमाने पर ट्रैक्टर मार्च निकाला। इस आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने किया।

केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति

ट्रैक्टर मार्च के जरिए केंद्र सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की जा रही है। दोनों संगठनों ने किसानों की मांगों के समर्थन में ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया था। यह आंदोलन 13 फरवरी से चल रहा है, जब पंजाब के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया था। हालांकि, हरियाणा पुलिस ने अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों को रोक दिया, जिसके बाद से किसानों ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाल रखा है।

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अमृतसर में 600 ट्रैक्टरों का मार्च

पंजाब के अमृतसर में, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के नेतृत्व में 600 ट्रैक्टरों का एक विशाल मार्च निकाला गया। राष्ट्रीय ध्वज और किसान संगठनों के झंडों से सजे ट्रैक्टरों ने अटारी से गोल्डन गेट तक लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तय की। इस मार्च ने पूरे इलाके में कृषि समुदाय की एकजुटता का संदेश दिया।

हरियाणा में भी जोरदार प्रदर्शन

हरियाणा के अंबाला में भी किसानों ने नवदीप सिंह के नेतृत्व में ट्रैक्टर मार्च निकाला। यह मार्च बलाना, शहजादपुर, और नारायणगढ़ गांवों से होकर गुजरा, जिसमें किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी की। इसी तरह, पंचकुला के पिंजौर में भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के नेता तेजवीर सिंह के नेतृत्व में भी किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला।

आंदोलन का बढ़ता दबाव

किसानों के इस आंदोलन से राज्य और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकार के सामने अब एक बड़ी चुनौती है कि कैसे इस आंदोलन को हल किया जाए, जिससे किसानों की मांगें पूरी हो सकें और देश में शांति और स्थिरता बनी रहे।

किसान संगठनों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। अब देखना यह है कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है।