कानून अब अंधा नहीं: न्याय की देवी की नई पहचान!

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

(From Blindfold to Constitution: A Historic Transformation in India’s Justice System) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अदालतों में स्थापित न्याय की देवी की मूर्ति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब इस मूर्ति की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई है, जो यह संदेश देती है कि “कानून अंधा नहीं है।”

पहले, न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी, जिससे यह धारणा बनी थी कि कानून सभी के लिए समान है। लेकिन अब, इस बदलाव के साथ, न्यायपालिका ने स्पष्ट किया है कि वह हर व्यक्ति को न्याय देने के लिए तत्पर है।

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इसके अलावा, मूर्ति के बाएं हाथ में पहले मौजूद तलवार को हटा कर संविधान रखा गया है। यह बदलाव यह दर्शाता है कि अब हर आरोपी के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। यह कदम ब्रिटिश काल से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए भारतीयता को न्यायिक प्रक्रिया में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड का यह प्रयास संविधान में निहित समानता के अधिकार को जमीनी स्तर पर लागू करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इस बदलाव का चौतरफा स्वागत किया जा रहा है, और यह दर्शाता है कि न्यायपालिका समय के साथ बदल रही है।

क्या यह बदलाव न्याय की नई परिभाषा को जन्म देगा? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन एक बात स्पष्ट है – अब कानून अंधा नहीं, बल्कि जागरूक है!