पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहली बार 18 महिला जज – न्यायपालिका में ऐतिहासिक बदलाव,रूपनगर में तैनात रही जस्टिस रमेश कुमारी ने भी शपथ ली।

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

(Punjab-Haryana High Court gets 18 women judges for the first time)अपने गठन के एक सदी से अधिक समय बाद पहली बार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 18 महिला जज शामिल हो चुकी हैं। सोमवार को चीफ जस्टिस शील नागू ने जस्टिस रमेश कुमारी को अतिरिक्त जज के रूप में शपथ दिलाई। इससे पहले हाईकोर्ट में महिला जजों की अधिकतम संख्या 13 थी।

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जस्टिस रमेश कुमारी की नियुक्ति उनके रूपनगर जिला एवं सत्र जज पद से सेवानिवृत्ति के लगभग एक महीने बाद हुई है। उनका नाम हाईकोर्ट कोलेजियम द्वारा रिटायरमेंट से पहले ही क्लियर कर दिया गया था। इस नियुक्ति के साथ ही हाईकोर्ट में जजों की कुल संख्या 85 के स्वीकृत पदों के मुकाबले 60 हो गई है।
शपथ ग्रहण समारोह सादगीपूर्ण लेकिन प्रभावशाली रहा, जिसमें कार्यरत एवं सेवानिवृत्त जज, अफसरशाही, रिश्तेदार और विधि समुदाय के सदस्य मौजूद थे। यह नियुक्ति अदालत में लंबित लगभग 4,33,720 मामलों को कम करने की संस्थागत कोशिश का हिस्सा है, जिस पर हाईकोर्ट बीते कई महीनों से निरंतर कार्य कर रहा है।

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18 महिला जजों की अभूतपूर्व उपस्थिति न्यायपालिका की संरचना में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। माना जा रहा है कि महिला प्रतिनिधित्व बढ़ने से महिलाओं, बच्चों और लैंगिक न्याय से जुड़े मामलों में संवेदनशील और समावेशी दृष्टिकोण मिलेगा। यह न्यायपालिका में संतुलित दृष्टिकोण और समाज की वास्तविक झलक पेश करने की दिशा में भी बड़ा कदम है।
हाईकोर्ट की 18 महिला जजों में शामिल हैं: जस्टिस लीज़ा गिल, जस्टिस मंजरी नेहरू कौल, जस्टिस अलका सारिन, जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता, जस्टिस अर्चना पुरी, जस्टिस लपिता बनर्जी, जस्टिस निधि गुप्ता, जस्टिस अमरजोत भट्टी, जस्टिस मनीषा बत्रा, जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन, जस्टिस सुखविंदर कौर, जस्टिस सुदीप्ति शर्मा, जस्टिस कीर्ति सिंह, जस्टिस मनदीप पन्नू, जस्टिस रुपिंदरजीत चहल, जस्टिस शालिनी सिंह नागपाल, जस्टिस आराधना सहनी और जस्टिस रमेश कुमारी।

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उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले हफ्तों में अधिवक्ताओं के नाम भी जजों की सूची में शामिल करने के लिए भेजे जा सकते हैं। हालांकि, न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है। इसमें राज्य सरकार, राज्यपाल, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम और अंततः केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की मंजूरी लगती है। यही कारण है कि रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया में कई महीने लग जाते हैं, जिससे काम का बोझ लगातार बढ़ता जाता है।

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हाईकोर्ट अभी भी ढांचागत चुनौतियों से जूझ रहा है। वर्तमान में केवल 69 कोर्टरूम ही कार्यरत हैं। हाल ही में चीफ जस्टिस नागू ने आदेश में कहा था कि यह स्थिति हाईकोर्ट को पूर्ण क्षमता से काम करने से रोक रही है। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से आग्रह किया था कि “व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाकर हाईकोर्ट के विस्तार को मंजूरी दी जाए, चाहे वह सीमित ही क्यों न हो।”
👉 यह नियुक्ति न केवल पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट बल्कि पूरे देश की न्यायपालिका के लिए महिला प्रतिनिधित्व और न्याय की संवेदनशीलता की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है।