चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(“Assets of 30 Years Assessed in 30 Minutes!” — Court Slams Punjab Vigilance FIR as ‘Cryptic’)CBI और विजिलेंस के बीच FIR की जंग ने खोला नया विवाद — अदालत ने उठाए गंभीर सवाल
चंडीगढ़ की एक अदालत ने गुरुवार को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (VB) द्वारा निलंबित डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के खिलाफ दर्ज की गई FIR पर सख्त टिप्पणी की, इसे “बेहद अस्पष्ट” करार दिया। अदालत ने तंज कसा कि जैसे एजेंसी ने “30 साल की संपत्ति का आकलन आधे घंटे से भी कम समय में कर लिया हो।”
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विशेष CBI जज भावना जैन ने कहा कि विजिलेंस की यह कार्रवाई जल्दबाज़ी और स्पष्टता की कमी से भरी थी। अदालत ने इस FIR की टाइमलाइन पर सवाल उठाते हुए पूछा कि कैसे इतनी जल्दी संपत्ति का मूल्यांकन किया गया।
यह मामला अब “दो FIRs की कहानी” बन चुका है — एक CBI और दूसरी विजिलेंस ब्यूरो की। दोनों ने 29 अक्टूबर को भुल्लर के खिलाफ असंगत संपत्ति के आरोपों पर FIR दर्ज की, जबकि CBI ने 16 अक्टूबर को उन्हें ₹5 लाख रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।
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अदालत ने पाया कि विजिलेंस ने अपनी FIR को एक हफ्ते तक छिपा कर रखा, और प्रस्तुत प्रति में एक पन्ना गायब था। ब्यूरो मूल दस्तावेज़ पेश करने या इसके अपलोड समय का विवरण देने में विफल रहा, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न उठे।
जज ने VB की सरकारी वकील हरभजन कौर की अनुपस्थिति पर भी टिप्पणी की — “यह आश्चर्यजनक है कि पंजाब विजिलेंस का पक्ष आरोपी की तरह पेश किया जा रहा है।”
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वहीं, अदालत ने डिफेंस की उस दलील को खारिज किया कि CBI का अधिकार क्षेत्र नहीं है, यह कहते हुए कि चंडीगढ़ में बरामद संपत्तियाँ CBI के दायरे में आती हैं और राज्य की सहमति आवश्यक नहीं।
CBI ने बताया कि हिरासत के दौरान पटियाला और लुधियाना में हुई तलाशी में ₹20.5 लाख नकद, 50 से अधिक संपत्ति दस्तावेज़ और डिजिटल डिवाइस मिले हैं। अदालत ने भुल्लर की CBI हिरासत 11 नवंबर तक बढ़ा दी, ताकि “मनी ट्रेल और बेनामी संपत्तियों” का पता लगाया जा सके।

















