पंजाबी यूनिवर्सिटी के वीसी, 3 प्रोफेसरों पर सिख धर्म की बेअदबी की एफआईआर,मामला अकाल तख्त साहिब तक पहुंचा

पटियाला । राजवीर दीक्षित

(FIR on Punjabi University VC, 3 profs over sacrilege; issue at Akal Takht Sahib)छात्रों द्वारा ‘महान कोश’ की त्रुटिपूर्ण प्रतियों को दफनाने के लिए गड्ढे खोदते देखे जाने के एक दिन बाद पटियाला पुलिस ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के कुलपति, तीन प्रोफेसरों और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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अर्बन एस्टेट पुलिस ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के वीसी जगदीप सिंह, डीन (अकादमिक) जसविंदर सिंह बराड़, रजिस्ट्रार देविंदर सिंह, पब्लिकेशन ब्यूरो इंचार्ज हरजिंदरपाल सिंह कालरा और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता, 2023 की धारा 298 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो धार्मिक स्थल को नुकसान पहुँचाने या अपवित्र करने से संबंधित है, यदि यह किसी धर्म का अपमान करने के इरादे से किया जाए। इस उल्लंघन पर दो साल की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

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एफआईआर छात्र नेताओं मनविंदर सिंह, निर्मलजीत सिंह, यादविंदर सिंह, मनदीप सिंह, साहिलदीप सिंह, कुलदीप सिंह और बलविंदर सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई। खबर लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। विश्वविद्यालय का माहौल तनावपूर्ण बना रहा।

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इस मामले में छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया था, जब यह सामने आया कि अधिकारियों ने ‘महान कोश’ की प्रतियों को पानी से भरे गड्ढों में डालकर नष्ट करने की कोशिश की। छात्रों ने बड़े गड्ढों में पड़ी प्रतियां देखी तो भारी रोष व्यक्त किया। विवाद बढ़ता देख विश्वविद्यालय अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन विरोध जारी रहा।

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इससे पहले मई माह में पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने पंजाबी यूनिवर्सिटी प्रशासन को ‘महान कोश’ में हुई गलतियों को सुधारकर संशोधित संस्करण प्रकाशित करने के निर्देश दिए थे। यह निर्देश विधानसभा सचिवालय में हुई बैठक के बाद दिए गए थे, जिसमें पंजाबी यूनिवर्सिटी के डीन, वरिष्ठ अधिकारियों और भाषा विभाग, पंजाब के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

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‘महान कोश’, जिसे सिख साहित्य का विश्वकोश भी कहा जाता है, का संकलन भाई कान्ह सिंह नाभा ने 14 वर्षों में किया था और इसका पहला संस्करण 13 अप्रैल 1930 को प्रकाशित हुआ था। हाल के वर्षों में इसके पुनर्प्रकाशन के दौरान आई त्रुटियों पर लगातार विवाद हो रहा है और विशेषज्ञों की मदद से इसे सुधारने की बात कही गई थी।

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अकाल तख्त ने बनाई जांच समिति
महान कोश की प्रतियां दफनाने की घटना पर सिख संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। मामले की जांच के लिए अकाल तख्त के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगंज ने एक समिति गठित की है, जो एक सप्ताह के भीतर अकाल तख्त को पूरी रिपोर्ट सौंपेगी।

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यह समिति विश्वविद्यालय की डॉ. गंडा सिंह पंजाबी रेफरेंस लाइब्रेरी में दुर्लभ साहित्य और ग्रंथों के संरक्षण की मौजूदा व्यवस्था और पुस्तकालय भवन की स्थिति की भी समीक्षा करेगी। अकाल तख्त जत्थेदार ने विश्वविद्यालय प्रशासन को गुरशब्द (जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब से शब्द सम्मिलित हैं) का अनादर करने के लिए फटकार लगाते हुए विश्वविद्यालय परिसर स्थित गुरुद्वारे में अखंड पाठ और अरदास कराकर माफी मांगने के निर्देश दिए।

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