विवाद में आया सत्संग घर: राधा स्वामी डेरा ने काटे हजारों मूल वन प्रजातियों के पेड़: NGT समिति की रिपोर्ट

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

(Radha Soami Dera in Row: NGT Panel Flags Mass Tree Felling)नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित एक संयुक्त समिति ने बड़ा खुलासा किया है कि पंचकूला के गांव बिड़ घग्गर स्थित राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा ने मूल वन प्रजातियों के पेड़ों को काटकर हटा दिया है।
समिति का नेतृत्व सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बी.एम. बेदी ने किया। उनके साथ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के उप महानिदेशक सत्य प्रकाश नेगी और उत्तर वृत्त अंबाला के वन संरक्षक जितेंद्र अहलावत भी सदस्य थे।

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जांच में सामने आया कि वर्ष 1998 में मंत्रालय ने 40.34 हेक्टेयर वन भूमि डेरा को सौंपी थी, जिसके साथ 4,322 पेड़ और 1,128 पौधे भी हस्तांतरित किए गए। इनमें 2,106 खैर, 136 सागौन, 721 शीशम, 199 यूकेलिप्टस और 723 कीकर शामिल थे।

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समिति का निरीक्षण और निष्कर्ष
31 जुलाई को मौके पर जांच के दौरान समिति ने पाया कि अब इस भूमि पर व्यावसायिक प्रजातियों जैसे सागौन (टीक) और बागवानी फलदार वृक्ष उगाए गए हैं। जबकि मूल वन प्रजातियों के पेड़ लगभग पूरी तरह गायब हैं। रिपोर्ट के अनुसार:
* पुराने ठूंठ तक दिखाई नहीं देते, जिससे यह स्पष्ट है कि पेड़ काटे और हटाए गए हैं।
* नई व्यावसायिक प्रजातियां और फलदार पौधे लगाए गए हैं, जिससे पेड़ की संरचना पूरी तरह बदल चुकी है।
* गूगल अर्थ की 2009 से उपलब्ध तस्वीरों में भी साफ है कि 2009 से पहले ही प्राकृतिक वनस्पति को साफ किया जा चुका था।

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नियमों का उल्लंघन और निर्माण कार्य
मंत्रालय ने भूमि हस्तांतरित करते समय शर्त रखी थी कि यह जमीन केवल पौधरोपण के लिए उपयोग होगी और उस पर कोई निर्माण नहीं होगा। लेकिन रिपोर्ट में सामने आया कि:
* डेरा ने स्थायी कार्यालय भवन बनाए और बाल सत्संग शेड व बड़े सत्संग शेड का विस्तार प्रस्तावित किया।
* समिति ने पाया कि लोहे का शेड और कंक्रीट फर्श का निर्माण भी किया गया, जो वन संरक्षण अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।
* करीब 100 एकड़ में से 15 एकड़ क्षेत्र पर अनुयायियों के निजी मकान बने हुए हैं, जो एक छोटी कॉलोनी का रूप ले चुके हैं।

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सरकारी दखल और जुर्माना
* अगस्त 2024 में क्षेत्रीय कार्यालय ने रिपोर्ट दी थी कि डेरा ने स्थायी निर्माण किए हैं।
* बाद में डेरा ने लेआउट बदलने की पूर्व-स्वीकृति के बिना अनुमति मांगी।
* जनवरी 2025 में मंत्रालय ने सैद्धांतिक मंजूरी दी और 46.82 लाख रुपये का दंडात्मक नेट प्रेज़ेंट वैल्यू (NPV) लगाया, जिसे डेरा ने जमा भी कर दिया है।
* मामला फिलहाल सरकार के पास विचाराधीन है।

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डेरा का पक्ष
राधा स्वामी सत्संग ब्यास के संयुक्त सचिव एवीएम डी.एस. गुराम ने 11 सितंबर 2024 को एनजीटी को दिए जवाब में कहा था कि उन्होंने कोई पेड़ नहीं काटा, बल्कि व्यवस्थित तरीके से और अधिक पौधे लगाए हैं।
👉 यह खुलासा अब बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है, क्योंकि एक ओर वन संरक्षण कानून का उल्लंघन साफ नज़र आता है, वहीं दूसरी ओर डेरा अपनी सफाई में पौधरोपण का दावा कर रहा है।