नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Red Fort Blast Probe Reveals Shocking Kanpur Connection)लाल किले के पास हुए बम धमाके की जांच अब बेहद दिलचस्प मोड़ ले चुकी है। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि इस पूरी साजिश में कानपुर और नेपाल का गहरा नेटवर्क सक्रिय था। ऑपरेशन में जिन मोबाइल फोनों और सिम कार्डों का इस्तेमाल किया गया, उनमें से कई कानपुर और नेपाल से खरीदे गए थे। नेपाल से 6 सेकंड हैंड मोबाइल लिए गए, जबकि कुल 17 सिम कार्डों में से 6 कानपुर से खरीदे गए थे।
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जांच में यह भी सामने आया है कि दो सिम कार्ड कानपुर के बेनकगंज इलाके के एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थे। इस सुराग ने ही जांच को नई दिशा दी। आगे पता चला कि आई-20 कार से धमाका करने वाला आरोपी डॉ. उमर मोहम्मद उर्फ उमर उन-नबी घटना से एक घंटे पहले तक तीन डॉक्टरों—डॉ. परवेज, डॉ. मोहम्मद आरिफ और डॉ. फारूक अहमद डार—के संपर्क में था। इनमें डॉ. परवेज दिल्ली सीरियल ब्लास्ट केस के आरोपी डॉ. शाहीन सईद का भाई है, जिसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किया गया था।
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कानपुर कनेक्शन तब और मजबूत हो गया जब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डीएम (कार्डियोलॉजी) के छात्र डॉ. मोहम्मद आरिफ को हिरासत में लिया गया। वहीं डॉ. फारूक अहमद डार भी इसी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं।
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दिल्ली पुलिस ने डॉ. परवेज के साले उस्मान से भी छह घंटे पूछताछ की, हालांकि अब तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है। जांच में यह भी पाया गया कि साजिशकर्ताओं की गतिविधियां करनलगंज, बाबूपुरवा, मंधाना और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में लगातार रिकॉर्ड हुई थीं।
कानपुर में देखे गए इन नेटवर्क लिंक ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, और जांच तेजी से आगे बढ़ रही है।

















