शिमला । राजवीर दीक्षित
(Satpal Singh Satti Warns Against Illegal Mining & Deforestation in Himachal)ऊना के विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने विधानसभा में वर्षा आपदा पर नियम-67 के तहत हुई बहस में कहा कि अवैध खनन, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और नदियों के किनारे अव्यवस्थित निर्माण हिमाचल प्रदेश के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। अगर समय रहते इन पर रोक नहीं लगी तो आने वाले दिनों में प्राकृतिक आपदाएँ और भी भयावह रूप ले सकती हैं।
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🚧 अवैध खनन से तबाह हो रहा इन्फ्रास्ट्रक्चर
सत्ती ने कहा कि ऊना और संतोषगढ़ के बीच अवैध खनन से पुलों और आधारभूत ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। जबकि जिले की कोई भी भूमि लीज़ पर नहीं दी गई, फिर भी दूसरे राज्यों से आए ट्रकों और मशीनरी की मदद से बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है।
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🌲 पेड़ों की कटाई और पर्यावरणीय खतरे
विधायक ने जोर देकर कहा कि एक तरफ सरकार पौधारोपण अभियान चला रही है, लेकिन दूसरी तरफ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। हालात ये हैं कि लगाए गए पौधों की जीवित रहने की दर बेहद कम है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति हिमाचल के पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रही है।
🌩️ बादल फटने और भूस्खलन से पर्यटक डरे
सत्ती ने बताया कि लगातार क्लाउडबर्स्ट और लैंडस्लाइड की घटनाओं से पर्यटक हिमाचल आने से डर रहे हैं। इसका सीधा असर पर्यटन उद्योग, सेब उत्पादकों और सब्जी उगाने वाले किसानों पर पड़ रहा है, जिन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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🛑 अव्यवस्थित निर्माण पर चिंता
उन्होंने कहा कि नदियों, नालों और जलभराव वाले क्षेत्रों के किनारे बिना योजना के हो रहा अंधाधुंध निर्माण आपदा को न्योता देने जैसा है। सत्ती ने इन नालों की डी-सिल्टिंग (गाद निकासी) की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे अवैध खनन पर भी रोक लगेगी और सरकार को राजस्व भी मिलेगा।
अन्य विधायकों की राय
* सुधीर शर्मा (धर्मशाला विधायक) – भूकंप प्रभावित क्षेत्र में अवैध निर्माण पर चिंता जताई और कहा कि विकास कार्यों से पहले शहरों की कैरीइंग कैपेसिटी का ध्यान रखा जाए, ताकि शिमला जैसी कंक्रीट जंगल स्थिति न बने।
* नीरज नैयर (चंबा विधायक) – शहरी क्षेत्रों में विकास को विनियमित करने की ज़रूरत बताई।
* सुरेंद्र शौरी (बंजार विधायक) – मंडी और कुल्लू में क्लाउडबर्स्ट के कई दिन बीत जाने के बावजूद सड़क, बिजली और पानी बहाल न होने पर सवाल उठाए।
* राकेश कालिया (गगरेट विधायक) – अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों की तरह हिमाचल को भी ऐसी तकनीक अपनानी चाहिए, जो 10 दिन पहले बारिश से जुड़ी आपदाओं की भविष्यवाणी कर सके।
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⚠️ विधानसभा की इस बहस से साफ है कि हिमाचल में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के पीछे प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मानवीय लापरवाही भी जिम्मेदार है। विशेषज्ञों और विधायकों की राय यही है कि अगर समय रहते अवैध खनन, पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण पर रोक नहीं लगी, तो आने वाले वर्षों में हिमाचल को और भी विनाशकारी आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है