अनिल अंबानी को 5 साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से बैन, 25 करोड़ का जुर्माना, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली । राजवीर दीक्षित

(Anil Ambani Caught in Fraud Conspiracy: SEBI Issues Final 222-Page Order) उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने अनिल अंबानी और रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व अधिकारियों समेत 24 अन्य व्यक्तियों को प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

सेबी ने अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया है और उन्हें किसी भी लिस्टेड कंपनी या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडिएटरी में डायरेक्टर या केएमपी (Key Managerial Personnel) के रूप में शामिल होने पर रोक लगा दी है।

सेबी ने अपने 222 पन्नों के अंतिम आदेश में कहा कि अनिल अंबानी ने सीनियर अधिकारियों की मदद से रिलायंस होम फाइनेंस से पैसों के गबन के लिए एक धोखाधड़ी की साजिश रची। इसे सहायक कंपनियों के लोन के रूप में दिखाया गया।

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सेबी के मुताबिक, यह साजिश नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) ने रची और आरएचएफएल के केएमपी ने इसे अंजाम दिया। इस साजिश के जरिए लिस्टेड कंपनी से धन की हेराफेरी की गई और इसे अयोग्य उधारकर्ताओं को ऋण के रूप में दिया गया, जो अंबानी से संबद्ध संस्थाओं के प्रवर्तक पाए गए।

सेबी की सख्त कार्रवाई

सेबी के इस सख्त कदम के बाद अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है, जहां शेयरों में 14% तक की गिरावट देखी गई। सेबी ने अंबानी और अन्य पर भारी जुर्माना लगाते हुए कहा कि इस साजिश ने न केवल कंपनी को, बल्कि उसके लाखों शेयरधारकों को भी गहरा नुकसान पहुंचाया।

सेबी के आदेश का असर

यह पहली बार नहीं है जब अनिल अंबानी के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई की गई है। फरवरी 2022 में सेबी ने अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें अनिल अंबानी और तीन अन्य व्यक्तियों को प्रतिभूति बाजार में संलिप्त होने से रोक दिया गया था। सेबी के ताजा आदेश के बाद, अंबानी की कंपनियों की स्थिति और भी खराब हो गई है, जो पहले ही भारी कर्ज और दिवालिया प्रॉसीडिंग से गुजर रही हैं।

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मार्च 2018 में, आरएचएफएल के शेयर का मूल्य 59.60 रुपये था, जो मार्च 2020 तक गिरकर केवल 0.75 रुपये रह गया। इस गिरावट का मुख्य कारण कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसमें हो रही हेराफेरी का खुलासा था। आज भी नौ लाख से अधिक लोग आरएचएफएल में निवेश कर रहे हैं और उन्हें इस घोटाले के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

सेबी की कार्रवाई का महत्व

सेबी के इस आदेश से साफ हो गया है कि भारत का प्रतिभूति बाजार किसी भी तरह की धोखाधड़ी और हेराफेरी के खिलाफ सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। इस आदेश ने यह संदेश दिया है कि कोई भी, चाहे वह कितना भी बड़ा उद्योगपति क्यों न हो, कानून के दायरे से बाहर नहीं है।

प्रमुख अधिकारी और कंपनियों पर भी कार्रवाई

अनिल अंबानी के अलावा, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) के पूर्व प्रमुख अधिकारी अमित बापना, रवींद्र सुधालकर, और पिंकेश आर. शाह को भी इस मामले में दोषी ठहराया गया है। इनके साथ-साथ रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज, रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट एलटी, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड, और अन्य संबंधित कंपनियों पर भी सेबी ने जुर्माना लगाया है।

आगे का रास्ता

इस सख्त आदेश के बाद, अनिल अंबानी के लिए निवेशकों का विश्वास जीतना और भी मुश्किल हो गया है। उनकी कंपनियों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए, उनके भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं।