माता वैष्णो देवी: भक्तों को मिला बड़ा तोहफ़ा, 6 मिनट में पूरी होगी 14 किमी की यात्रा

जम्मू । राजवीर दीक्षित

(Vaishno Devi Ropeway Cuts Travel Time to Just 6 Minutes) कहते हैं, “जब माता बुलाती हैं, तो भक्ति का मार्ग स्वयं ही खुल जाता है।” इसी भक्ति के मार्ग को और भी सुगम बनाने के लिए माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब वैष्णो देवी के भक्तों के लिए यात्रा और भी आसान हो गई है। माता का दरबार अब महज 6 मिनट की रोपवे यात्रा में पहुंचा जा सकेगा।

रोपवे यात्रा को बनाएगा हल्का और सुगम

ताराकोट से सांझीछत तक प्रस्तावित इस रोपवे प्रोजेक्ट की शुरुआत कर भक्तों के लिए यात्रा को नया आयाम दिया जाएगा। 14 किमी का यह पैदल मार्ग, जो कई श्रद्धालुओं के लिए चुनौतीपूर्ण होता था, अब 6 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। यह विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग यात्रियों के लिए एक राहत भरा तोहफ़ा है, जो अब बिना थकान के माता के दर पर पहुंच सकेंगे।

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सीईओ का दृष्टिकोण: श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान

श्राइन बोर्ड के सीईओ, अंशुल गर्ग द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, यह रोपवे प्रोजेक्ट केवल यात्रा को तेज नहीं करेगा, बल्कि देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए अनुभव को और भी सुखद बनाएगा। समय की कमी के कारण दर्शन नहीं कर पाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह परियोजना एक वरदान साबित होगी।

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आर्थिक समृद्धि का द्वार: रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बल

इस परियोजना का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी गहरा है। रोपवे के जरिए श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है। इससे स्थानीय रोजगार में विस्तार होगा और पर्यटन क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिलेगा। यह एक ऐसा कदम है, जो आने वाले वर्षों में माता वैष्णो देवी की यात्रा को और भी सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाएगा।

आस्था के साथ आरामदायक यात्रा

रोपवे प्रोजेक्ट एक परिवर्तनकारी पहल है, जो मातृ श्रद्धा को नई शक्ति देगा। भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए, यह परियोजना आरामदायक यात्रा का प्रतीक बनेगी। श्रद्धालु इस परिवर्तन के साथ माता के दर पर पहुंचने के लिए बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं, और अब माता के प्रति उनकी भक्ति और भी गहरी होने वाली है।

अंततः, यह यात्रा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा भी होगी, जो श्रद्धालुओं को माता की कृपा के करीब लाएगी। चिकित्सीय चुनौतियों और थकान को भुलाकर, अब माता के चरणों में जाने का सपना जल्दी ही साकार होने वाला है।