नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(India’s Courts Struggle with 54.9 Million Pending Cases)देश भर की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या चिंता का गंभीर विषय बन गई है। सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा को जानकारी दी कि भारत में कुल 54.9 मिलियन से अधिक मामले लंबित हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट में 90,897 मामले और देश भर की 25 हाई कोर्टों में 6,363,406 मामले लंबित हैं। वहीं, निचली अदालतों में सबसे अधिक, 48,457,343 मामले लंबित हैं।
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कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन को लिखित जवाब में बताया कि लंबित मामलों के कई कारण हैं। इनमें तथ्यों की जटिलता, सबूतों की प्रकृति, पक्षकारों का सहयोग, भौतिक बुनियादी ढांचे की कमी और सहायक अदालती स्टाफ की कमी शामिल हैं।
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सबसे बड़ा कारण जजों की कमी है। निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई पद खाली हैं, जिससे प्रत्येक जज पर काम का बोझ बढ़ जाता है और मामलों का निपटारा धीमा हो जाता है। प्रति मिलियन आबादी पर भारत में जजों की संख्या विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। इसके अलावा, अदालतों में क्लर्क, डेटा एंट्री ऑपरेटर और अन्य सहायक स्टाफ की कमी भी केस प्रबंधन, फाइलिंग और मुकदमे की तैयारी में देरी का कारण बन रही है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि लंबित मामलों की समस्या न सिर्फ न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है, बल्कि आम नागरिकों के लिए न्याय तक पहुंच को भी बाधित करती है। सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिए जजों और स्टाफ की भर्ती बढ़ाने और अदालती बुनियादी ढांचे में सुधार करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही है।
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