चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Punjab vs BBMB: High Court Moved Over ‘Illegal’ Water Allocation to Haryana)भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) पर “अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर” और तय नियमों का उल्लंघन करते हुए हरियाणा को उसके हिस्से से अधिक पानी देने का आरोप लगाते हुए पंजाब सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
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दायर याचिका में मांग की गई है कि सभी साझीदार राज्यों की भागीदारी से एक निष्पक्ष और तटस्थ चेयरमैन की नियुक्ति की जाए। यह याचिका BBMB, उसके चेयरमैन और भारत सरकार को प्रतिवादी बनाकर दायर की गई है।
पंजाब का आरोप है कि अपने हिस्से का पानी खत्म होने के बावजूद BBMB ने हरियाणा को प्रतिदिन 8,500 क्यूसेक पानी अतिरिक्त देने की अनुमति दी, जो न तो कानूनी है और न ही पंजाब की सहमति से हुआ।
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याचिका में कहा गया है कि –
* BBMB की स्थापना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 79 के तहत हुई थी, जिसका उद्देश्य पानी और बिजली ढांचे का संचालन और रखरखाव करना तथा पानी की आपूर्ति को केवल आपसी समझौते के अनुसार नियंत्रित करना है।
* पंजाब ने बार-बार हरियाणा और राजस्थान द्वारा तय हिस्से से अधिक पानी लेने पर आपत्ति जताई, लेकिन इन्हें अनदेखा किया गया।
* BBMB ने एक अमान्य तकनीकी समिति की बैठक और बाद की बोर्ड बैठकों के आधार पर ये निर्णय लिए, जो नियमों के विपरीत थे।
* मामला BBMB नियम 7 के तहत केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेजने के बाद भी BBMB ने मीटिंग और निर्णय जारी रखे, जो पूरी तरह गैरकानूनी है।
* अतिरिक्त पानी देने का कोई आधिकारिक इंडेंट कार्यपालन अभियंता (BML, पटियाला) द्वारा नहीं किया गया, जो संचालन नियमों का सीधा उल्लंघन है।
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याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि 30 अप्रैल और 3 मई को हुई बोर्ड बैठकों में जरूरी नोटिस पीरियड और एजेंडा भेजने की समयसीमा का पालन नहीं हुआ। 30 अप्रैल की बैठक में बहुमत से हरियाणा को पानी छोड़ने का फैसला लिया गया, जबकि 2 मई को केंद्रीय गृह सचिव का निर्णय BBMB से प्राप्त एकतरफा जानकारी पर आधारित था, न कि उचित सुनवाई पर।
यह मामला अब हाईकोर्ट में सुनवाई का इंतज़ार कर रहा है और माना जा रहा है कि इसका असर न केवल पंजाब-हरियाणा जल विवाद बल्कि भाखड़ा-नंगल डैम के पानी प्रबंधन के भविष्य पर भी पड़ेगा।