नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Ethiopia Still Living in 2017 with a 13-Month Calendar)दुनिया का बड़ा हिस्सा साल 2025 के आखिरी महीनों के करीब पहुँच चुका है, लेकिन अफ़्रीका के दक्षिणी हिस्से में स्थित इथियोपिया अभी भी साल 2017 में ही जी रहा है। यह सुनकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सच है।
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इथियोपिया का समय पीछे रहने का कारण है उनका पारंपरिक गीज़ कैलेंडर (Ge’ez Calendar), जो ग्रेगोरियन कैलेंडर की तुलना में लगभग 7-8 साल पीछे चलता है। इस कैलेंडर में 12 नहीं, 13 महीने होते हैं। पहले 12 महीनों में 30-30 दिन होते हैं, जबकि 13वें महीने ‘पागूमे (Pagume)’ में आम साल में 5 दिन और लीप साल में 6 दिन होते हैं।
इथियोपिया में नया साल हर साल 11 सितंबर (लीप साल में 12 सितंबर) को मनाया जाता है। इसे ‘एंकुटाताश (Enkutatash)’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है गहनों का तोहफ़ा। यहाँ क्रिसमस 25 दिसंबर को नहीं, बल्कि 7 जनवरी को मनाया जाता है।
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दिन की गिनती भी अनोखी है। जहाँ दुनिया में दिन सुबह 6 बजे से शुरू माना जाता है, इथियोपिया में दिन की शुरुआत सुबह 12 बजे से होती है। जब हमारे समयानुसार दोपहर के 12 बजे होते हैं, वहां शाम के 6 बजे होते हैं।
इथियोपिया सिर्फ समय के मामले में ही अनोखा नहीं है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के कारण भी विशेष है। यह अफ़्रीका का अकेला देश है जिसे कभी किसी यूरोपीय शक्ति ने उपनिवेश नहीं बनाया। यहाँ मिला प्रसिद्ध “लूसी” कंकाल मानवता की जन्मभूमि होने का प्रमाण है।
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गीज़ कैलेंडर केवल समय मापने का साधन नहीं है, बल्कि यह धार्मिक जीवन, सांस्कृतिक परंपराओं और ग्रामीण जीवन से गहराई से जुड़ा है। इथियोपिया साबित करता है कि कैलेंडर सिर्फ तारीखें नहीं, बल्कि संस्कार और विश्वासों का दर्पण भी होता है।