पंजाब में फर्जी एनकाउंटर केस में जाने किन पुलिस अधिकारियों को हुई उम्रकैद: एक पूर्व DIG को 7 साल कैद;घर से उठा ले गए, आंतकवादी बता फल विक्रेता को मारी गोलियां।

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चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

पंजाब में हुए एक पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में मोहाली की CBI स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व DIG दिलबाग सिंह को 7 साल की सजा और रिटायर्ड DSP गुरबचन सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों को एक दिन पहले दोषी ठहराया था। मामला 31 साल पुराना तरनतारन का है।

सीबीआई अदालत ने दोनों पर IPC की धारा (364) अपहरण, 302 हत्या, 218 (लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को सजा या संपत्ति को जब्त होने से बचाने के इरादे से गलत रिपोर्ट रिकॉर्ड तैयार करना) व (201) सबूत मिटाने के तहत सजा सुनाई है।

मृतक के परिवार ने इस मामले में न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है वह अदालत के फैसले से संतुष्ट नही है। परिवार का कहना है कि आतंकवाद का आरोप लगाते हुए पुलिस के अधिकारी उनके बेटे को घर से उठाकर ले गए थे।

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साल 1996 में जंडाला रोड निवासी चमन लाल की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि 22 जून 1993 को तत्कालीन DSP दिलबाग सिंह (DIG के पद से रिटायर हो चुके) के नेतृत्व में तरनतारन पुलिस की एक टीम उनके बेटे गुलशन को जबरन उठा ले गई। इसके अलावा, उनके 2 बेटे प्रवीन कुमार और बॉबी कुमार को भी अपने साथ ले गए।

पुलिस ने प्रवीन और बॉबी कुमार को तो छोड़ दिया, लेकिन गुलशन को रिहा नहीं किया। एक महीने बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में गुलशन की हत्या कर दी गई।

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना उनके बेटे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। पिता चमन लाल के अनुसार, गुलशन कुमार फल विक्रेता थे।

मामले में 32 लोगों की गवाही हुई

CBI की जांच रिपोर्ट के अनुसार, गुरबचन सिंह उस समय सब-इंस्पेक्टर थे और वह तरनतारन (शहर) पुलिस स्टेशन में SHO के रूप में तैनात थे। उन्होंने गुलशन कुमार को अवैध हिरासत में रखा था।

इस मामले में सुनवाई के दौरान अर्जुन सिंह, दविंदर सिंह और बलबीर सिंह की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा इस मामले में 32 गवाहों का हवाला दिया गया, लेकिन 15 ही लोगों की गवाही हुई। मामले के शिकायतकर्ता चमन लाल की भी मौत हो चुकी है।

परिवार का कहना है कि गुलशन का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं था। बावजूद इसके, उनके परिवार पर यह कलंक लगा। परिवार ने 30 साल से अधिक तक सहन किया।

इस दौरान उनका घर पूरी तरह से बर्बाद हो गया। उनके पिता जी इस दुनिया से चले गए।CBI के कानूनी अधिकारी अनमोल नारंग व शिकायतकर्ता के एडवोकेट सबरजीत सिंह वेरका ने एक निर्दोष सब्जी बेचने वाले की हत्या करने वालों को उम्रकैद की सजा मांगी थी।