नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(Mango Shipments Denied Entry by US)भारतीय आमों की मिठास इस बार अमेरिका नहीं पहुंच पाई। अमेरिकी अधिकारियों ने भारत से भेजी गई कम से कम 15 आम की खेपों को लेने से इनकार कर दिया है। वजह बनी इरैडिएशन (radiation treatment) से संबंधित दस्तावेजों में गड़बड़ी। इस फैसले से भारतीय निर्यातकों को करीब 5 लाख डॉलर (लगभग 4.15 करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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क्या है पूरा मामला?
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी खेपें हवाई मार्ग से अमेरिका भेजी गई थीं। लेकिन अमेरिकी फूड एंड प्लांट सेफ्टी एजेंसियों ने दस्तावेजों की जांच के बाद खेपों को एंट्री देने से इनकार कर दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा – या तो आमों को अमेरिका में ही नष्ट करें या वापस भारत भेजें।
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नष्ट करना ही पड़ा विकल्प
चूंकि आम एक नाशवंत फल है और वापस लाने में भारी लागत आती, इसलिए निर्यातकों ने सभी खेपों को अमेरिका में ही नष्ट करने का फैसला किया। इससे भारतीय आम उद्योग को न सिर्फ आर्थिक झटका लगा, बल्कि विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
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आगे क्या?
अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? कृषि मंत्रालय और संबंधित निर्यात एजेंसियां अब जांच में जुट गई हैं कि दस्तावेजों में गड़बड़ी कहां और कैसे हुई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इस तरह की घटनाएं दोहराई गईं, तो भारत की वैश्विक फलों की बाज़ार में छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
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निर्यातकों की अपील
निर्यातकों ने सरकार से अपील की है कि इरैडिएशन प्रक्रिया और डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम को और मजबूत किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।