चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(AI as Doctor? Self-Diagnosis Puts Lives at Risk in India) भारत में लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को डॉक्टर समझकर अपनी बीमारियों से संबंधित सवाल पूछने लगे हैं। लोग AI टूल को अपने लक्षण बताते हैं और AI उन्हें दवाइयाँ लेने की सलाह देता है। लेकिन कई मामलों में यह गलत साबित हुआ और लोग गंभीर हालत में अस्पताल पहुँचे।
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मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. संदीप दोशी ने बताया कि एक 51 वर्षीय व्यक्ति को जिम के दौरान कंधे में दर्द हुआ। उसने AI से सलाह ली और दर्द निवारक दवा लेना शुरू किया। दो हफ्तों तक दर्द कम न होने पर जब वह डॉक्टर के पास गया, ECG और कार्डियक जांच में पता चला कि उसकी बाईं कोरोनरी धमनी में 95% रुकावट थी। तुरंत एंजियोप्लास्टी की जरूरत पड़ी।
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इसी तरह, एक 40 वर्षीय महिला ने छाती में दर्द रहित गांठ महसूस की और AI से सलाह ली। AI ने कहा कि यह शायद हानिकारक नहीं है। नौ महीने बाद, जब गांठ बनी रही, डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि महिला को स्टेज-2 स्तन कैंसर है। इलाज में देरी के कारण उसे महीनों तक कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडिएशन करवाना पड़ा।
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फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉ. भास्कर नंदी ने कहा कि AI की सलाह को निष्पक्ष मानने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि एक मरीज को AI ने लगातार इबुप्रोफेन लेने की सलाह दी, जबकि उसका गैस्ट्रिक अल्सर था। इसके कारण उसे गंभीर रक्तस्राव और अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
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डॉक्टरों का कहना है कि AI का आत्मविश्वासी लहजा लोगों को मार्गदर्शन जैसा लगता है, लेकिन AI को डॉक्टर समझना बड़ी भूल है। शुरुआती लक्षणों की अनदेखी खतरनाक हो सकती है। मरीजों को चेतावनी दी जा रही है कि गंभीर लक्षण होने पर AI से सलाह लेने के बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।