150 साल पुरानी अनोखी परंपरा: इस जगह रावण का वध जलाकर नहीं,पैरों तले मसलकर

नई दिल्ली। राजवीर दीक्षित
(150-Year-Old Tradition: Crushing Ravana Underfoot in Rajasthan)विजयदशमी पर जहां पूरा देश रावण के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है, वहीं राजस्थान का कोटा क्षेत्र इस पर्व को अपने अलग अंदाज में मनाने के लिए जाना जाता है। यहां जेठी समुदाय द्वारा निभाई जाने वाली एक परंपरा देशभर में चर्चा का विषय बनी रहती है, जिसमें रावण का वध अग्नि से नहीं, बल्कि पैरों तले मसलकर किया जाता है।

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हाड़ौती क्षेत्र के कोटा जिले के नंता इलाके में दशहरे के मौके पर समुदाय के लोग मिट्टी का रावण तैयार करते हैं। दशमी के दिन पहलवान परंपरा अनुसार मिट्टी से बने रावण को पैरों से मसलते हैं, जो बुराई के अंत का प्रतीक माना जाता है। खास बात यह है कि रावण को मसलने के तुरंत बाद उसी मिट्टी पर कुश्ती दंगल आयोजित होता है, जिससे यह परंपरा और भी खास बन जाती है। यह अनूठा तरीका हाड़ा राजाओं के कुश्ती प्रेम से जुड़ा हुआ है और लगभग 150 साल से लगातार निभाया जा रहा है।

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सिर्फ इतना ही नहीं, नवरात्रि के नौ दिनों तक समुदाय की महिलाएं दीप प्रज्वलित कर पारंपरिक गरबा करती हैं, जिससे वातावरण में भक्ति और उत्सव का रंग घुल जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती यह परंपरा राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और विविधता का अनोखा उदाहरण पेश करती है।

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