गृह प्रवेश का रहस्य: दुल्हन क्यों गिराती है पैर से चावल का कलश ?

चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(Why Brides Kick the Rice-Filled Kalash During Griha Pravesh)हिंदू विवाह परंपराओं में गृह प्रवेश की रस्म हमेशा से विशेष आकर्षण का केंद्र रही है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पुरानी परंपरा फिर चर्चा में है—दुल्हन द्वारा घर में प्रवेश करते समय चावल से भरे कलश को अपने पैर से हल्के से ठोकर मारना। लोगों में यह उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर इस रस्म के पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक महत्व क्या है।

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विवाह को हिंदू धर्म में पवित्रतम संस्कारों में गिना जाता है, और इससे जुड़ी हर रस्म नई दुल्हन को परिवार में सम्मान और पहचान दिलाने का माध्यम होती है। गृह प्रवेश के समय दरवाजे पर रखा चावल से भरा कलश वास्तव में ब्रह्मांड और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चावल, जिसे ‘अक्षम’ कहा गया है, धन, सौभाग्य और प्रगति का प्रतीक होता है। परंपरा के अनुसार, जब दुल्हन कलश को अपने दाहिने पैर से आगे बढ़ाती है, तो यह माना जाता है कि वह अपने नए परिवार में खुशहाली, सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी का आगमन लेकर आ रही है।

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हालांकि हिंदू संस्कृत में अन्न को पैर लगाना अशुभ माना गया है, लेकिन इस विशेष अवसर पर यह शुभ संकेत माना जाता है। दुल्हन को गृहलक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और कलश को आगे बढ़ाना नए जीवन की समृद्ध शुरुआत का प्रतीक है।

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मनोविज्ञान की दृष्टि से भी यह रस्म महत्वपूर्ण है। यह नई दुल्हन को परिवार के बीच सहज, स्वीकार्य और सम्मानित महसूस कराने का तरीका माना जाता है। यह संकेत है कि अब वह इस घर की अभिन्न सदस्य है और पूरे अधिकारों के साथ अपना नया जीवन शुरू कर रही है।
यह परंपरा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक—तीनों स्तरों पर आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण बनी हुई है।

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