..लो जी लुधियाना उपचुनाव के स्टार प्रचारको से कांग्रेसी नेता केपीएस राणा का नाम हटना बना चर्चा का विषय,पार्टी में बढ़ती दूरी और भविष्य पर सवाल !

लुधियाना । राजवीर दीक्षित

(Congress Snubs KPS Rana in Ludhiana Bypoll)पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा स्पीकर केपीएस राणा एक बार फिर सियासी सुर्खियों में हैं। इस बार कारण है उनका नाम लुधियाना उपचुनाव के स्टार प्रचारकों की सूची से हटा दिया जाना। सूत्रों के अनुसार, पार्टी हाईकमान ने यह फैसला राणा की विवादित छवि और सार्वजनिक प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए लिया है। यह फैसला न सिर्फ पार्टी के अंदर उनकी घटती सियासी पकड़ को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि कांग्रेस अब हार के जिम्मेदार चेहरों से दूरी बनाना चाहती है।

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बताया जा रहा है कि राणा के विरोधियों ने पार्टी नेतृत्व तक उनकी गतिविधियों और छवि को लेकर कई रिपोर्ट्स भेजी थीं, जिससे यह निर्णय लिया गया। श्री आनंदपुर साहिब जैसी कांग्रेस की पुरानी और प्रभावशाली मानी जाने वाली सीट पर भी पार्टी इस समय अंदरूनी खींचतान और गुटबाज़ी का शिकार है। राणा की अगुवाई में हाल ही में नंगल में आयोजित ‘संविधान बचाओ रैली’ में न केवल भीड़ जुटाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी, बल्कि इस प्रोग्राम में किसी बड़े नेता की गैरमौजूदगी ने भी पार्टी की स्थिति को स्पष्ट कर दिया।

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कांग्रेस के सीनियर सूत्र बताते हैं कि हाईकमान अब फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, खासकर उन नेताओं के मामले में जो पिछले चुनाव में बड़े अंतर से हार चुके हैं। राणा को 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के हरजोत सिंह बैंस से 48,000 से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।

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इसके बाद उन्होंने कथित रूप से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ भाजपा में शामिल होने की कोशिश भी की, लेकिन अंतिम समय पर भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल करने से मना कर दिया,यह मामला खूब चर्चा का विषय रहा। यह घटनाक्रम पार्टी हाईकमान, खासकर राहुल और प्रियंका गांधी की ब्रिगेड तक पहुंच गया, जिसके बाद से पार्टी ने राणा से दूरी बना ली है।

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वर्तमान में कांग्रेस श्री आनंदपुर साहिब क्षेत्र में नए चेहरों की तलाश में है। पार्षद एडवोकेट परमजीत सिंह पम्मा और पूर्व यूथ कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ. अच्छर शर्मा के नामों पर चर्चा चल रही है। पम्मा की लगातार पार्षद चुनावों में जीत और जिला यूथ कांग्रेस के प्रधान डॉ.अच्छर शर्मा की सामाजिक सक्रियता उन्हें टिकट के संभावित दावेदार बनाती है।

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राणा की “दबंग छवि” अब पार्टी के लिए चिंता का कारण बन चुकी है। उनके कार्यकाल के दौरान दर्जनों पत्रकारों, महिलाओं, बुजुर्गों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर दर्ज हुए 700 से अधिक केसों ने उनकी लोकप्रियता को गहरा आघात पहुंचाया है। यही कारण है कि अब क्षेत्र की जनता भी उनके पुनः उभार की आशंका से सशंकित है और पार्टी हाईकमान पुनरावृत्ति से बचना चाहता है।

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कुल मिलाकर, केपीएस राणा की सियासी हैसियत अब पार्टी में हाशिए पर है और कांग्रेस आने वाले चुनावों में नए नेतृत्व के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में लुधियाना उपचुनाव में स्टार प्रचारको में उनका नाम का काटा जाना उनके समर्थकों में भी मायूसी का कारण माना रहा है।