चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Dhankhar quits over health; Amit Shah denies ‘house arrest’ claim)पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े को लेकर बढ़ते कयासों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि धनखड़ साहब ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफ़ा दिया है और विपक्ष के इस दावे को ख़ारिज किया कि उन्हें “नज़रबंद” किया गया था।
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एएनआई को दिए साक्षात्कार में शाह ने कहा, “धनखड़ साहब का इस्तीफ़ा पत्र अपने आप में स्पष्ट है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दिया है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री, अन्य मंत्रियों और सरकार के सदस्यों का अच्छे कार्यकाल के लिए आभार भी व्यक्त किया है।”
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जब उनसे विपक्ष के “नज़रबंदी” वाले दावे पर सवाल पूछा गया तो शाह ने कहा कि सच और झूठ की व्याख्या केवल विपक्ष के बयानों पर आधारित नहीं होनी चाहिए और पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफ़े को लेकर अनावश्यक विवाद नहीं करना चाहिए। शाह बोले, “ऐसा लगता है कि आपके लिए सच और झूठ की कसौटी सिर्फ़ विपक्ष के बयान हैं। हमें इस पर हल्ला नहीं मचाना चाहिए। धनखड़ एक संवैधानिक पद पर थे और उन्होंने संविधान के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाईं। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफ़ा दिया है, इस पर ज़्यादा चर्चा करने की ज़रूरत नहीं है।”
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ग़ौरतलब है कि विपक्षी नेताओं ने धनखड़ के अचानक इस्तीफ़े पर सवाल उठाए थे और दावा किया था कि सरकार ने उन्हें “चुप करा दिया” है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी उपराष्ट्रपति का इस्तीफ़ा “चुप कराने” के साथ हुआ हो।
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा देश को “मध्यकालीन दौर” में ले जा रही है। उन्होंने पूछा, “हम फिर से मध्यकालीन दौर में पहुँच रहे हैं जब राजा अपनी मर्ज़ी से किसी को भी हटा सकता था। चुने हुए प्रतिनिधियों की कोई अहमियत नहीं थी। वह आपका चेहरा पसंद नहीं करता तो ईडी से केस लगवा देता और फिर 30 दिन के भीतर चुना हुआ व्यक्ति मिटा दिया जाता है। और मत भूलिए कि हमें नया उपराष्ट्रपति क्यों चुनना पड़ रहा है। कल ही मैं किसी से बात कर रहा था और मैंने पूछा – पुराना उपराष्ट्रपति कहाँ गया?”
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सीनियर वकील और नेता कपिल सिब्बल ने भी सवाल उठाया कि क्या धनखड़ के सार्वजनिक रूप से नज़र न आने पर हैबियस कॉर्पस याचिका दायर करनी चाहिए। हालाँकि भाजपा ने साफ़ किया कि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफ़ा दिया है और उनके साथ किसी तरह का मतभेद नहीं था।
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धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को इस्तीफ़ा दिया था। उन्होंने कहा था कि वह “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देना चाहते हैं और चिकित्सकीय सलाह का पालन करना चाहते हैं।” उस समय वह राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपना इस्तीफ़ा सौंपा था।