चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(BBMB Issues Strict Transfer Orders for Employees Involved in Assault Incident) भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) में आज एक महत्वपूर्ण और सख्त फैसला लिया गया, जिसने नंगल के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। BBMB के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने कड़ा रुख अपनाते हुए नंगल में तैनात दो कर्मचारियों को ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया है।
इन आदेशों के तहत एक कर्मचारी को सुंदरनगर पंडोह ट्रांसफर किया गया है, जबकि दूसरे कर्मचारी को उनके राज्य ‘बेक टू स्टेट’ में वापस भेजा गया है।
यह फैसला तब आया जब इन दोनों कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगे थे। आदेश के तहत दोनों कर्मचारियों को तुरत प्रभाव से रिलीव करने का आदेश दिया गया है।
ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों में से एक, विनोद भट्टी, जो कि कर्मचारी संगठन सीटू के प्रधान है, पर अपने साथी राजा राम के साथ मिलकर BBMB के सरकारी अस्पताल के सीनियर डॉक्टर संदीप सिंह पर हमला करने, धमकाने और हाथापाई करने का आरोप है।
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यह आरोप न केवल नंगल क्षेत्र में बल्कि पूरे BBMB प्रशासन में सनसनीखेज बन गया था। इसी कारण से नंगल पुलिस ने इन दोनों कर्मचारियों के साथ-साथ पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
इस घटना के बाद नंगल के सरकारी अस्पताल के सारे स्टाफ ने हड़ताल कर दी थी, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई थीं। यह हड़ताल कई दिनों तक जारी रही, जिससे नंगल के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
हालांकि, इस हड़ताल को समाप्त करवाने में डीएसपी कुलबीर सिंह संधू ने अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई। उनकी कोशिशों से अस्पताल का कामकाज फिर से शुरू हुआ, लेकिन इसके बावजूद इस घटना ने नंगल क्षेत्र में कर्मचारियों और अस्पताल प्रबंधन के बीच तनाव को और गहरा कर दिया।
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बीबीएमबी चेयरमैन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए फैसला किया कि इन दोनों कर्मचारियों में विनोद भट्टी व राजा राम को नंगल से तुरंत ट्रांसफर किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
आदेश जारी होते ही दोनों कर्मचारियों को तुरंत रिलीव करने के निर्देश भी दिए गए। यह फैसला BBMB में अनुशासन और कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर सख्त संदेश भेजने के लिए उठाया गया है।
विनोद भट्टी, जो कि सीटू यूनियन का प्रमुख है, का ट्रांसफर कर्मचारियों के बीच काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। राजा राम उनका कर्मचारी यूनियन में सहयोगी है।
यूनियन से जुड़े अन्य कर्मचारी इस फैसले से नाराज हैं और इसे यूनियन के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं।
यूनियन का दावा है कि यह फैसला उनके संगठन को कमजोर करने और उनकी आवाज़ को दबाने के लिए लिया गया है।
हालांकि, BBMB प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से उन कर्मचारियों के अनुचित व्यवहार और डॉक्टर के साथ हुई घटना के कारण की गई है, न कि किसी संगठन के खिलाफ।
इस घटना से नंगल के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ के बीच भी चिंता का माहौल बना हुआ है। कर्मचारियों की ओर से बार-बार की जाने वाली हड़ताल और यूनियनों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन को भी सख्त कदम उठाने पड़े हैं।
BBMB के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता और हिंसात्मक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह घटना उस समय और महत्वपूर्ण हो जाती है जब सरकारी संस्थानों में कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच विवाद बढ़ते जा रहे हैं।
यह सिर्फ एक ट्रांसफर का मामला नहीं है, बल्कि यह एक सख्त संदेश है कि किसी भी सरकारी संस्थान में अनुशासन से समझौता नहीं किया जा सकता।
BBMB जैसी प्रतिष्ठित संस्था में इस तरह की घटना प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती थी, और चेयरमैन द्वारा लिए गए इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अब किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता के लिए कोई जगह नहीं है।
नंगल में इस फैसले के बाद कर्मचारियों और यूनियनों के बीच गुस्सा है। यूनियन से जुड़े लोग इसे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन बता रहे हैं और उनके समर्थन में आवाजें उठा रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर, प्रशासन इस मामले को कानून और व्यवस्था का सवाल मानते हुए इसे अनुशासन बनाए रखने की दिशा में सही कदम मान रहा है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फैसला किस दिशा में ले जाता है। क्या यूनियनों और प्रशासन के बीच तनाव और बढ़ेगा, या फिर यह मामला शांत हो जाएगा? इस पूरे प्रकरण ने न केवल BBMB, बल्कि सरकारी कर्मचारियों के बीच अनुशासन और कानून व्यवस्था के सवालों को एक बार फिर से सामने ला खड़ा किया है।
फिलहाल, नंगल में BBMB के इस सख्त कदम ने कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच खलबली मचा दी है, और यह मामला अब चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है।