ऊना । राजवीर दीक्षित
(ED Launches Major Probe into Fake Ayushman Cards) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फर्जी आयुष्मान कार्ड के जरिए करोड़ों रुपये के फ्रॉड मामले में आरोपियों को सम्मन भेजने की तैयारी कर ली है। यह मामला तब सामने आया जब ईडी ने निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले रोगियों का फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू किया। ईडी की टीम यह पता लगाने में जुटी है कि जिन रोगियों का निजी अस्पतालों ने क्लेम लिया है, उनका इलाज वास्तव में हुआ है या फिर फर्जी बिल बनाए गए हैं।
ईडी की जांच की शुरुआत ऊना के एक निजी अस्पताल से हुई थी, जिसके बाद यह मामला प्रदेश के अन्य निजी अस्पतालों से जुड़ता चला गया।
ईडी स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के साथ-साथ निजी अस्पतालों की बैलेंस शीट्स को क्रॉस मैच कर रही है। इस कार्रवाई से आने वाले समय में निजी अस्पतालों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि ईडी आयुष्मान घोटाले के ऑडिट में अस्पतालों की बैलेंस शीट्स और बैंक खातों का रिकॉर्ड खंगाल रही है।
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ईडी की अब तक की गई जांच के अनुसार, इस मामले में लगभग 25 करोड़ रुपये की अपराध आय शामिल है। हाल ही में, ईडी ने दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में 20 स्थानों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत छापामारी की।
इस छापेमारी में ईडी ने 88 लाख रुपये नकद, चार बैंक लॉकर और 140 संबंधित बैंक खाते जब्त किए। इसके अलावा, ईडी ने अचल और चल संपत्तियों, खातों की पुस्तकों और अन्य दस्तावेजों के साथ-साथ 16 डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
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ईडी ने स्वास्थ्य विभाग से भी निजी अस्पतालों का रिकॉर्ड मांगा है। छापामारी के दौरान कई स्वास्थ्य योजनाओं के दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
ईडी अब आरोपियों से पूछताछ करने की योजना बना रही है, जिससे फर्जी आयुष्मान कार्ड से जुड़े इस बड़े फ्रॉड के कई अहम खुलासे हो सकते हैं।
इसके साथ ही, ईडी अस्पतालों की संपत्ति की भी जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरोपियों ने अवैध तरीके से कितनी संपत्ति बनाई है।