चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Fuel scam fallout: Punjab govt sacks PSPCL Director Harjeet Singh with immediate effect)पंजाब सरकार ने पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) में एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए डायरेक्टर (पावर जेनरेशन) हरजीत सिंह की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। यह कार्रवाई सरकारी थर्मल पावर प्लांटों में ईंधन लागत में असामान्य वृद्धि और फंड की संभावित गड़बड़ी के आरोपों के बाद की गई है।
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यह कदम उस समय उठाया गया है जब 2 नवंबर को रोपड़ और गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांटों के मुख्य इंजीनियर हरीश शर्मा को भी निलंबित किया गया था। उन पर भी फ्यूल कॉस्ट बढ़ाने और अनुचित वित्तीय व्यवहार के आरोप लगे थे।
सूत्रों के अनुसार, नए प्रशासनिक सचिव (पावर) बसंत गर्ग, जिन्हें हाल ही में PSPCL और PSTCL (Punjab State Transmission Corporation Limited) का चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया है, ने हरजीत सिंह की बरखास्तगी के आदेश जारी किए हैं। बसंत गर्ग ने पूर्व अधिकारी ए.के. सिन्हा की जगह कार्यभार संभाला था, जिन्हें हाल ही में अचानक ट्रांसफर कर दिया गया था।
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आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, जांच में पाया गया कि रोपड़ के गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट और गोइंदवाल साहिब के गुरु अमरदास थर्मल प्लांट में उपयोग किए जा रहे ईंधन की प्रति यूनिट लागत निजी थर्मल प्लांटों की तुलना में 75 पैसे से लेकर ₹1.25 अधिक थी। यह विसंगति तब भी पाई गई जब दोनों पावर प्लांट्स राज्य की अपनी “पचवारा कोल माइन” से कोयला ले रहे थे।
रिपोर्ट के अनुसार, इस ईंधन लागत में बढ़ोतरी से PSPCL को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। आदेश में यह भी स्पष्ट कहा गया है कि यह स्थिति फ्यूल कॉस्ट में गंभीर गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता का संकेत देती है।
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सूत्रों का कहना है कि हरजीत सिंह और सरकार के बीच हाल ही में PSPCL की परिसंपत्तियों के निवेश और नई बिजली खरीद समझौतों (Power Purchase Agreements) को लेकर मतभेद भी चल रहे थे। माना जा रहा है कि यह निर्णय प्रशासनिक पुनर्संतुलन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
पावर विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि थर्मल पावर प्लांटों में ईंधन आपूर्ति, टेंडरिंग,ट्रांसपोटेशन और कॉन्ट्रैक्ट प्रक्रिया की व्यापक जांच शुरू की जा चुकी है।
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वहीं, PSPCL के कर्मचारियों और अधिकारियों में इस कार्रवाई को लेकर खलबली मच गई है। कई अधिकारी मान रहे हैं कि सरकार अब पावर सेक्टर में “सख्त प्रशासनिक अनुशासन” लागू करने के मूड में है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बसंत गर्ग आने वाले दिनों में PSPCL और PSTCL के कामकाज में संगठनात्मक सुधारों और जवाबदेही बढ़ाने पर जोर देंगे।
यह मामला न केवल पंजाब के ऊर्जा क्षेत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राज्य सरकार अब ऊर्जा उत्पादन में किसी भी वित्तीय अनियमितता को बर्दाश्त नहीं करेगी।

















