शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस की पहल: सरकारी स्कूलों की छात्राओं के लिए नई उम्मीद, शिक्षा विभाग में आई ‘ख़ास’ योजना

चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित

(Harjot Bains’ Initiative: New Hope for Govt School Girls)पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस के नेतृत्व में शिक्षा विभाग लगातार नए सुधारों की दिशा में अग्रसर है। उनकी एक और नई पहल राज्य की करीब एक लाख छात्राओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है। यह योजना सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को करियर संबंधी सही मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। अपने विशेष दौरे पर आए एडवोकेट हरजोत सिंह बैंस ने बताया कि
10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के बाद अधिकांश छात्राएं इस असमंजस में रहती हैं कि उन्हें अपने करियर के लिए कौन-सा विषय चुनना चाहिए। इसी निर्णय के आधार पर वे 11वीं कक्षा में किसी स्ट्रीम का चयन करती हैं। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को आमतौर पर करियर काउंसलिंग की सुविधा स्कूल से ही मिल जाती है, लेकिन सरकारी स्कूलों में इस प्रकार की सुविधा सीमित होने के कारण अधिकतर छात्राएं बिना उचित मार्गदर्शन के अपने सहपाठियों के अनुसार स्ट्रीम का चयन कर लेती हैं। इससे कई बार वे अपनी रुचि और क्षमता के अनुरूप सही करियर विकल्प नहीं चुन पातीं।

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शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा इस गंभीर समस्या को समझते हुए एक दूरदर्शी निर्णय लिया गया है। उन्होंने घोषणा की है कि सरकारी स्कूलों की 10वीं कक्षा की छात्राओं के लिए साइकोमेट्रिक टेस्ट करवाने की योजना शुरू की जा रही है। इस योजना के तहत राज्यभर में 93,819 छात्राओं के साइकोमेट्रिक टेस्ट किए जाएंगे।
इस पहल का उद्देश्य छात्राओं की मानसिक क्षमताओं, रुचियों और व्यक्तित्व का विश्लेषण करके उन्हें सही करियर विकल्प चुनने में मदद करना है। शिक्षा विभाग की इस नई योजना के तहत 31 मार्च तक सभी सरकारी हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में अध्ययनरत 10वीं की छात्राओं को करियर काउंसलिंग प्रदान की जाएगी।

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इस नई सुविधा के शुरू होने से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को अब करियर संबंधी निर्णय लेने में अधिक स्पष्टता मिलेगी। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस की इस दूरदर्शी सोच की सोशल मीडिया पर काफी सराहना हो रही है। लोग इसे सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम मान रहे हैं।
यह पहल न केवल छात्राओं को उनके भविष्य के प्रति जागरूक बनाएगी बल्कि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी। शिक्षा विभाग के इस प्रयास से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को निजी स्कूलों के समकक्ष अवसर मिलेंगे और वे आत्मविश्वास के साथ अपने करियर का चयन कर सकेंगी