चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Punjab Ex-Female SHO Surrenders in NDPS, Corruption Case After Year on the Run)पंजाब के मोगा की पूर्व थाना प्रभारी (एसएचओ) अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल ने आखिरकार एक साल की फरारी के बाद स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है। वे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कौर की अदालत में पेश हुईं, जहां से उन्हें 20 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
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यह मामला 1 अक्टूबर 2024 का है, जब अर्शप्रीत कौर, जो उस वक्त कोट इसे खां थाने की प्रभारी थीं, ने कांस्टेबल गुरप्रीत सिंह के साथ मिलकर अमरजीत सिंह नामक व्यक्ति से 2 किलो अफीम बरामद की थी। बाद में जांच में खुलासा हुआ कि अमरजीत के दो साथी और 3 किलो अफीम के साथ पकड़े गए थे, मगर कथित रूप से 8 लाख रुपये की डील के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
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सूत्रों के मुताबिक, इस रकम में से 5 लाख रुपये अर्शप्रीत कौर और दोनों कांस्टेबलों — गुरप्रीत सिंह और राजपाल सिंह — ने आपस में बांटे। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने सभी तीनों पुलिसकर्मियों और दो नशा तस्करों — मनप्रीत सिंह और गुरप्रीत सिंह — के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम और एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
बार-बार समन भेजे जाने के बावजूद अर्शप्रीत अदालत में पेश नहीं हुईं, जिसके चलते 31 जुलाई 2025 को उन्हें “घोषित अपराधी” (Proclaimed Offender) घोषित कर दिया गया।
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फरार होने से पहले उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में आरोप लगाया था कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें यौन उत्पीड़न का विरोध करने और हत्या के एक मामले में क्लीन चिट देने से इनकार करने पर फंसाया है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ऐसी कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
पुलिस ने पुष्टि की है कि आज आत्मसमर्पण के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और आगे की जांच जारी है