अमृतसर । राजवीर दीक्षित
(Sukhbir Badal’s Punishment Could Reshape Punjab Politics) शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने हाल ही में अपने कार्यकाल के दौरान हुई सभी गलतियों को स्वीकार किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें धार्मिक सजा का सामना करना पड़ रहा है।
यह निर्णय श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा लिया गया, जहां उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकाल (2007-2017) में किए गए विवादास्पद निर्णयों के लिए माफी मांगी। धार्मिक सजा की प्रक्रिया सुखबीर बादल को 3 दिसंबर को धार्मिक सजा के तहत कई कार्यों का पालन करना होगा।
उन्हें पांच गुरु घरों के बाहर हाथ में भाले लेकर सेवादार की सेवा करनी होगी, जो सुबह 9 से 10 बजे तक चलेगी। इसके बाद, वे एक घंटे तक लंगर में जूठे बर्तन साफ करेंगे और फिर कीर्तन सुनेंगे तथा सुखमनी साहिब का पाठ करेंगे।
इसके अतिरिक्त, उन्हें 12 बजे से 1 बजे तक बाथरूम साफ करने का भी निर्देश दिया गया है। इस दौरान, उन्हें गले में तन्खैइया घोषित किए जाने की तख्ती पहननी होगी।
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इस बीच, शिरोमणि अकाली दल के जिन नेताओं ने इस्तीफे दिए हैं, उन्हें अगले तीन दिनों में स्वीकार किया जाएगा।
पार्टी में बागी नेताओं को फटकार लगाते हुए कहा गया है कि उन्हें अकाली दल के साथ बने रहना चाहिए।
आने वाले समय में पार्टी की नई कमेटी पर चर्चा करने और नियुक्तियों की प्रक्रिया चुनावी तरीके से करने का भी निर्णय लिया गया है।
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सुखबीर सिंह बादल का राजनीतिक भविष्य इस धार्मिक सजा के परिणाम पर निर्भर करेगा। कई सिख समूह उनकी पार्टी से हटाने की मांग कर रहे हैं, जिससे पार्टी की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है। उनके कार्यकाल के दौरान हुए कई विवादों ने न केवल उनकी छवि को प्रभावित किया है, बल्कि पार्टी के अस्तित्व पर भी सवाल उठाए हैं।
अंत में सुखबीर सिंह बादल का यह कदम न केवल व्यक्तिगत रूप से उनके लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे शिरोमणि अकाली दल के लिए एक नयी दिशा तय कर सकता है।
धार्मिक सजा के माध्यम से वे अपनी गलतियों को स्वीकार कर रहे हैं, जो कि एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि वे अपने समुदाय के प्रति जिम्मेदारियों को समझते हैं।
हालांकि, यह देखना होगा कि क्या यह कदम उनके राजनीतिक करियर को पुनर्जीवित कर सकेगा या नहीं।