नई दिल्ली । राजवीर दीक्षित
(Supreme Court Empowers Daughters: Right to Demand Education Expenses from Parents) सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि बेटियों को अपने पेरेंट्स से शिक्षा संबंधी खर्च मांगने का पूरा अधिकार है।
जरुरत पडऩे पर माता-पिता को कानूनी तौर पर बाध्य किया जा सकता है कि वे बेटी की शिक्षा के लिए जरुरी काम दें।
कोर्ट ने यह आदेश 26 साल से अलग रह रहे दंपती के मामले में दिया। दंपती की बेटी आयरलैंड में पढ़ रही है।
पिता की तरफ से मां को दिए गए गुजारे भत्ते में बेटी की पढ़ाई के लिए 43 लाख रुपये थे, जिसे बेटी ने अपने आत्मसम्मान का हवाला देते हुए लेने से इनकार कर दिया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा कि बेटी को ये पैसे रखने का अधिकार है।
उसे यह पैसा अपनी मां या पिता को लौटाने की जरुरत नहीं है। वह जैसे चाहे इसे खर्च कर सकती है।
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पति-पत्नी के बीच 73 लाख रुपये का सेटलमेंट हुआ था
28 नवंबर 2024 को दंपति के बीच एक सेटलमेंट हुआ था, जिस पर बेटी ने भी साइन किया था। इस सेटलमेंट के तहत पति ने कुल मिलाकर 73 लाख रुपए अपनी पत्नी और बेटी को देने पर सहमति जताई थी।
इसमें से 43 लाख रुपए बेटी की पढ़ाई के लिए थे। बाकी पत्नी के लिए थे। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को अपने हिस्से के 30 लाख रुपए मिल गए हैं और दोनों पार्टियां पिछले 26 साल से अलग रही हैं।
ऐसे में कोई कारण नहीं बनता है कि आपसी सहमति से दोनों को तलाक न दिया जाए। बेंच ने कहा कि बेटी ने अपनी गरिमा बनाए रखने के लिए पैसे लेने से इनकार किया।
उसने अपने पिता से पैसे वापस लेने को कहा, लेकिन पिता ने भी मना कर दिया। पिता ने बिना किसी कारण के पैसे दिए।
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जिससे पता चलता है कि वे फाइनेंशियल तौर पर मजबूत हैं और अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद करने में सक्षम हैं।
कोर्ट ने आदेश दिया-सेटलमेंट की शर्तों को मानेंगे पति-पत्नी
कोर्ट ने आदेश दिया कि इस सेटलमेंट के मुताबिक, पति-पत्नी एक-दूसरे पर कोई केस नहीं करेंगे और अगर किसी फोरम के समक्ष कोई मामला पेंडिंग है, तो उसे सेटलमेंट के तहत निपटाया जाएगा।
भविष्य में दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर कोई क्लेम नहीं करेंगीं और सेटलमेंट की शर्तों का पालन करेंगीं।
विरासत में बेटियों की हिस्सेदारी
इससे पहले जनवरी 2022 में भी सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के पक्ष में एक अहम फैसला दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले में कहा था कि एक ऐसे व्यक्ति की संपत्ति, जो बिना वसीयत लिखे मर गया और उसकी केवल एक बेटी हो तो बेटी को संपत्ति में समग्र अधिकार प्राप्त होगा, न कि परिवार के किसी अन्य सदस्य को।
कोर्ट के अनुसार संयुक्त परिवार में रह रहे व्यक्ति की वसीयत लिखे बिना ही मौत हो जाए तो उसकी संपत्ति पर बेटों के साथ उसकी बेटी का भी हक होगा। इस दौरान बेटी को अपने पिता के भाई के बेटों की तुलना में संपत्ति का हिस्सा देने में प्राथमिकता दी जाएगी।