रतन टाटा के दौर में टाटा ग्रुप ने पूरी दुनिया में लहराया परचम, टाटा ग्रुप की मार्केट वैल्यू बढ़कर 33 लाख करोड़ रुपये तक पहुंची

नई दिल्ली । राजवीर दीक्षित

(From Salt to Steel: How Ratan Tata Built an Empire that Defines Modern India) भारत के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का नाम आज भी देशवासियों के दिलों में बसा हुआ है। भले ही वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थापित टाटा ग्रुप ने एक ऐसा साम्राज्य खड़ा किया है, जो आज भी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाए हुए है।

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नमक से लेकर जहाज बनाने तक के व्यवसायों में कदम रखा और हर घर में टाटा का कोई न कोई उत्पाद उपयोग में लाया जा रहा है। इस सबके चलते टाटा ग्रुप की मार्केट वैल्यू बढ़कर 33 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

टाटा ग्रुप का ऐतिहासिक सफर

टाटा ग्रुप की शुरुआत 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म के रूप में हुई थी। आज, 2024 में, 157 साल बाद, टाटा ग्रुप में लगभग 100 से अधिक कंपनियां शामिल हैं, जो देश की कुल जीडीपी में 2% की हिस्सेदारी रखती हैं। शेयर बाजार में टाटा ग्रुप की 26 कंपनियां लिस्टेड हैं, जिनकी मार्केट वैल्यू करीब 33 लाख करोड़ रुपये है।

टाटा ग्रुप ने भारत को पहली बड़ी स्टील कंपनी, पहला लग्जरी होटल, और पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी दी। इसके अलावा, टाटा एयरलाइंस, जो बाद में एयर इंडिया बनी, भी टाटा ग्रुप की देन है।

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रतन टाटा की लीडरशिप का जादू

1991 में रतन टाटा के टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनने के बाद, उन्होंने वैश्विक स्तर पर कंपनी के विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाए। उनकी लीडरशिप में टाटा ग्रुप ने टेटली टी का अधिग्रहण किया और AIG के साथ मिलकर TATA AIG नाम की इन्श्योरेंस कंपनी की स्थापना की। इसके अलावा, उन्होंने यूरोप की कोरस स्टील और JLR का भी अधिग्रहण किया।

बदलावों से मिली नई ऊंचाई

रतन टाटा ने मैनेजमेंट के पुराने नियमों में बड़े बदलाव किए और ग्रुप को एक दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास किया। उन्होंने टाटा संस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 26% करने पर जोर दिया और ग्रुप में जोश भरने के लिए कई नए कदम उठाए।

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बिक्री और विस्तार की रणनीति

रतन टाटा ने कुछ व्यवसायों को बेचने का निर्णय लिया, जैसे कि सीमेंट कंपनी एसीसी और कॉस्मेटिक्स कंपनी लैक्मे। इसके साथ ही, उन्होंने ग्रुप कंपनियों से रॉयल्टी लेना शुरू किया, जिससे टाटा नाम का उपयोग करने के लिए टाटा संस को लगभग 1% की रॉयल्टी दी जाती थी।

वैश्विक पहचान और नैनो का सपना

रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के व्यवसाय को न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी फैलाने का कार्य किया। 2009 में, टाटा मोटर्स ने देश में सबसे सस्ती कार नैनो को लॉन्च किया, जो हर वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध थी। हालांकि, कुछ विवादों के चलते यह कार बाजार में उतनी सफल नहीं हो पाई।

होटल उद्योग में टाटा का योगदान

19वीं सदी के अंत में, जब जमशेद जी टाटा को मुंबई के एक महंगे होटल में रंग के कारण प्रवेश नहीं मिला, तब उन्होंने भारतीयों के लिए एक बेहतरीन होटल बनाने का संकल्प लिया। 1903 में, टाटा ग्रुप ने मुंबई में ताज महल पैलेस होटल की स्थापना की, जो अपने समय का सबसे आधुनिक होटल था।

इस प्रकार, रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी एक नई पहचान बनाई है। उनके द्वारा स्थापित मूल्यों और दृष्टिकोण ने टाटा ग्रुप को एक ऐसा ब्रांड बना दिया है, जो आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।

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