चंडीगढ़ । राजवीर दीक्षित
(Why Advocate Simranjit Kaur Gill Chose to Defend Amritpal Singh Mehro)“गिरफ्तारी देने और पुलिस द्वारा खुद गिरफ्तार किए जाने में फर्क होता है।
मेहरो भाइयों के साथियों ने खुद गिरफ्तारी दी है। वे हत्या करके नहीं भागे, बल्कि जिम्मेदारी लेकर खुद पुलिस के पास गए हैं।
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कई लोग मुझसे कहते हैं कि एक वकील होकर आप हत्या को कैसे जायज़ ठहरा सकती हैं।
तो बस यही कहना चाहूंगी कि ‘कौर’ हमारे नाम के साथ गुरु साहिब ने अन्याय के खिलाफ लड़ने, हक और सच के लिए खड़े होने के लिए दिया है। और यह जो लड़ाई है, यह भी उसी हक-सच का हिस्सा है।
और कोई भी झूठा ‘कौर’ नाम रखकर समाज में अश्लीलता फैलाए — यह सहन नहीं किया जाएगा।
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बेशक, मैं किसी की जान लेने या हत्या के पक्ष में नहीं हूं।
लेकिन फिर भी जब समाज से गंदगी साफ होती है, तो साफ-सुथरा समाज देखकर अच्छा लगता है।
किसने हत्या की, किसने नहीं — यह मुझे नहीं पता।
पर अगर समाज से गंद साफ हो गई, तो अच्छा ही हुआ।
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बाकी यह कंचन कुमारी जो कानून को जेब में रखकर घूमती है, उसी ने जसी साध जैसे लोगों को बाल शोषण के केस में जेल भिजवाया, कईयों को सजा और फांसी तक दिलवाई।
लेकिन इसके खिलाफ जब शिकायतें हुईं, तो किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इसको चेतावनी भी दी गई, फिर भी इसने और गंद फैलाना जारी रखा।
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इसलिए वीर मेहरो के साथियों ने जो भी किया — मैं एक बहन के रूप में, एक पंजाबी बेटी के रूप में, एक ‘कौर’ और एक वकील के रूप में — उनके साथ हूं, उनके हक में हूं।
जब कोई बेटियों के लिए खड़ा हो सकता है, तो बेटियां भी उसके साथ खड़ी होती हैं